Book Title: Jain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Author(s): Deviprasad Mishra
Publisher: Hindusthani Academy Ilahabad

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Page 487
________________ भौगोलिक दशा ४५३ सुवर्णवती : हरिवंश पुराण में इसे सुवर्णकूला कहा गया है । जैन पुराणों में इसकी स्थिति भरत क्षेत्र में इला पर्वत के दक्षिण बतायी गयी है ।२ । हरवती : हरिवंश पुराण में इसे हरिद्वती कहा गया है। महा पुराण में इसकी स्थिति भरत क्षेत्र में इला पर्वत के दक्षिण बतायी गयी है। हृदवती : हरिवंश पुराण के अनुसार हृदवती नदी नील पर्वत से निकल कर सीता नदी की ओर जाती है । यह नील और वक्षार पर्वत के मध्य स्थित है। . २. असमीकृत नदी : हमारे अधीत जैन पुराणों में ऐसी नदियों का उल्लेख हुआ है, जिनका तादात्म्य साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्यों से स्थापित नहीं किया जा सका है । ऐसी नदियाँ निम्नवत् हैं : अवन्तिकामा, अम्बणी', औदुम्बरी', उन्मग्नजला, ऋजुकूला", कर्णरवा", कर्णकुण्डल'२, करीरी, कामवेगिनी", काञ्चन५, कालतोया'६, कुब्जा, केतवा, क्रौञ्चरवा", चूर्णी, तरङ्गिणी", नरकान्ता२२, नारी२२, निपकुन्दरी, पारा२५, प्रमृशा, प्रहरा, प्रवेणी, पुण्यभागा", बाया", बीजा", महेन्द्रका'२, १. हरिवंश ५।१२४ २. वही २७।१३; महा ५६।११६ । ३. वही २७।१३ ४. महा ५६।११८ ५. हरिवंश ५।२३६ ६. महा २६।६४ ७. वही २६८७ ८. वही २६१५० ६. वही ३२।२१; हरिवंश ११।२६ वही ७४१३४८; वही २०५७ ११. पद्म ४०।४० १२. वही ५३।१६१ १३. महा ३०॥५७ १४. वही २६१६५ १५. वही ६२।१५६ १६. वही २६।५० १७. महा २६८७ १८. वही ३०१५७ १६. पद्म ४२।६१, ४३१४८ २०. महा २६८७ २१. हरिवंश ४६।४६ २२. वही ५११२४; पद्म १०५।१६० २३. वही ५।१२४; वही १०५।१६० २४. महा २६१६१ २५. वही २६६१ २६. वही २६५४ २७. वही ३०।५८ २८. वही २६२६ २६. पद्म ६।३८ महा ३०१५७ ३१. वही २६१५२ ३२. वही २६८४ ३०. महा २०१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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