Book Title: Jain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Author(s): Deviprasad Mishra
Publisher: Hindusthani Academy Ilahabad

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Page 523
________________ शब्दानुक्रमणिका ४८६ भौहूर्तिक ३६ भृत्य वृत्ति ५१ पेय १३१ पोत ३३०, ३३१ पौरव्यावहारिक २१३ प्रेष्य ४७ प्रोषधोपवास ५६ प्रतोली २६१ प्रपा २६६ प्रव्रज्या १६ प्रशान्तता क्रिया ८७ प्रशान्ति क्रिया ७६ प्राकार २५६, २६० प्रावार १४६ प्रायोपगमन ६३, ६४ बन्ध ३३५, ३५०, ३५४ बहिर्यान क्रिया ७१, ७२ बालिक १५५ बाह्याली क्रीड़ा १७२ बुर्ज २६१ बुष्किम ३११ बेगार ५० मटम्ब १८२, २५१ मण्डुक ३०१ मदनोत्सव १७८ मध्यलोक ३३५, ३३६ मन्वन्तर २५ मयूरपिच्छधारी६ मषि (मसि) २६, ३२, ३२० महाराज्य १८३ महाव्रत ३७४ महीदेव ५८ मात्स्यन्याय १८२, २१५ मान ३३२ मानार्ह ५८ मार्गणा ३४१ मास ३३२ मित्र १८६ मुक्त ३४२, ३४४ मुकुट १५३ मुण्डितकेश ६ मुद्रिका १६१ मुनि ३६४ से ३७५ मुनिदीक्षा ६३ भूर्च्छना २८७,२६३ मूर्तिक ३४२, ३४६ मूरज २६६ मूलगुण ३७०, ३७३ मृगया विनोद क्रीड़ा १७१ मृतक संस्कार ८६, ६० भंभा ३०१ भक्ष्य १३१ भयदासी १२२ भव्य ३४२, ३४३ भिक्षुकसंज्ञक ६३ भूदेव ३६ भेरी २६८ भोगभूमि २३, १८२ भोज्य १३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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