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भौगोलिक दशा
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रेवा' : रेवा या रेवाकण्ठ का स्रोत विध्य पर्वत की अमरकण्टक पहाड़ियां हैं । मंडला के पूर्व रेवा और नर्मदा का संगम होता है, जहाँ से वे दोनों नामों से आगे बढ़ती हैं ।
लांगललतिका' : इसकी पहचान आधुनिक लांगुलिनी से की जा सकती है, जो आन्ध्र प्रदेश के सिक्कीकोल जिले से होकर बहती है।'
वरदा' : गोदावरी नदी की दो ऊपरी सहायक नदियों में से प्राणहिता एक है, जो वैनगंगा, वरदा तथा पेनगंगा (पेन्नर) की संगमित धाराओं के संयुक्त प्रवाह का प्रतिनिधित्व करती हैं । वरदा नदी विदर्भ राज्य का विभाजन करती है ।
वितता : सम्भवतया यह वितस्ता (पालि वितंसा) है। वितस्ता (झेलम) नदी कश्मीर के पीरपंजल पर्वतमाला से निकलती है और पुंछ, मीरपुर, खोसव होती हुई चेनाव में मिलती है।
विभंग : महा पुराण के अनुसार विदर्भ देश के अन्तर्गत गन्धिल देश के पश्चिम ऊर्मिमालिनी नामक विभंग नदी है। विभंगा में बारह नदियाँ हैं, जो सीता और सीतोदा में गिरती हैं ।११
वेगवती'२ : जैन अनुश्रुति में इस नदी को सौराष्ट्र में ऊर्जयन्त पर्वत से सम्बद्ध बताया गया है ।१३
वैतरणी" : इस नदी में मृतक को स्नान कराने का उल्लेख मिलता है।" यह सिंहभूमि जिले के दक्षिण भाग में स्थित पहाड़ियों से निकलती है। यह उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बलसोर जिले से होकर बहती है और धामरा की खाड़ी में गिरती है । इसके आगे इसमें दो सहायक नदियाँ मिलती हैं ।१६ १. पद्म ३७।१८; हरिवंश १७।२७; ६. लाहा-वही, पृ० २२८
महा २६।६५ १०. महा ४।५२ २. लाहा-वही, पृ० ६०
११. हरिवंश ५।२४३ ३. महा ३०।६२
१२. वही ४६।४६; महा ७३३२२ ४. दिनेश चन्द्र सरकार-वही, पृ० ५४ १३. लाहा-वही, पृ० ५०२ ५. हरिवंश १७१२३
१४. महा २६८४; पद्म ८।४५४ ६. लाहा-वही, पृ० ६३
१५. वही ७४।१८३ ७. वही, पृ० ५७० ।
१६. लाहा-वही, पृ० ६२ ८. हरिवंश ११७६
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