________________
४०६
जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
करती थी । श्रावस्ती और साकेत कोशल की राजधानियाँ थीं । कोशल के दो भाग थेउत्तर कोशल तथा दक्षिण कोशल । "
गन्धमालिनी : हरिवंश पुराण के अनुसार पूर्व विदेह के सीता नदी तथा निषेध पर्वत के मध्य यह स्थित था । महा पुराण में कहा गया है कि जम्बूद्वीप के पश्चिम विदेह क्षेत्र में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर एक गन्धमालिनी देश है ।'
गन्धा : हरिवंश पुराण के अनुसार पूर्व विदेह के सीता नदी तथा निषेध पर्वत के मध्य में इसकी स्थिति थी ।"
गन्धिल : इसे गन्धिल या सुगन्धिला कहते हैं । जैन पुराणों के अनुसार इसकी स्थिति विदेह क्षेत्र के सीता नदी तथा निषध पर्वत के मध्य में बतलायी गयी है ।" गन्धिल देश के पूर्व मेरु पर्वत, पश्चिम में ऊर्मिमालिनी नामक विभंग नदी, दक्षिण में सीतोदा नदी और उत्तर में नीलगिरि पर्वत था ।
गान्धार : महा पुराण में इसकी स्थिति विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी में बतायी गयी है ।" इसमें आधुनिक पाकिस्तान के रावलपिण्डी तथा पेशावर जिले सम्मिलित थे । इसकी एक राजधानी पुष्करावती या पुष्कलावती और दूसरी तक्षशिला थी । "
गौड़ : ईशान्वर्मा के हरहा अभिलेख से गौड़ जनपद की स्थिति उत्तरी एवं पश्चिमी बंगाल के लिए ज्ञात होती है । "
गौरी : महा पुराण में विजयार्ध पर्वत के उत्तर श्रेणी में गौरी नामक देश की स्थिति बतायी गयी है ।'
१२
लाहा- वही, पृ० ७६ - ८०, १६७- १६८
१.
२. हरिवंश ५। २५१
३.
महा ५६ । १०६
४. हरिवंश ५।२५१
५. वही ५। २५१; महा ४।५१, ७।४०-४१, ५६।२७६, ७०१४
६. महा ४।५२
७.
पद्म १०१।८४; हरिवंश ४४/४५; महा १६।१५५
5. महा ४४।१५५
६. लाहा - वही, पृ० १३० - १३१
१०.
महा २६।४१
११.
एपीग्राफिका इण्डिका, जिल्द १४, पृ० ११७, जिल्द २२, पृ० १३५ महा ४६।१४७
१२.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org