________________
४४८
जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन कृतमाला' : इसकी पहचान मद्रास के दक्षिण मदुरा के कोल्कई नगर में बहने वाली बेङ्गी या बैगाई नदी से किया जाता है ।२
कृष्णवर्णा : यह आधुनिक कृष्णा नदी है। यह जातकों का कन्हपेण्णा, खारवेल के हाथीगुम्फा का कण्हपेण्णा, रामायण का कृष्णावेणी या कृष्णवेणा है । इसका उद्गम पश्चिमी घाट में है। यह टकन के पठार से होती हुई पूर्वी घाट को एक कृश-प्रवाह (नद कंदर) के रूप चीरती हुई पूर्व की ओर बहती हुई बङ्गाल की खाड़ी में गिरती है।
गजवती : यह भरत क्षेत्र के इला पर्वत के दक्षिण बहती थी।
गंगा : यह आधुनिक गंगा नदी है जो हिमालय से निकल कर बङ्गाल की खाड़ी में गिरती है। गंगा सागर के आस-पास के क्षेत्र को गंगाद्वार' कहा गया है। महा पुराण में गंगापात का वर्णन आया है, जो कि गंगा का उद्गमस्थल है ।
गंधावती : जैन पुराणों में गंगा और गन्धवती नदियों के संगम का उल्लेख हुआ है। गंधावती नदी गन्धमादन पर्वत से निकलती है।
गम्भीरा : चम्बल या चर्मण्वती नदी के यमुना नदी में गिरने के पहले उसकी सहायक गम्भीरा को माना गया है ।
ग्राहवती : हरिवंश पुराण के अनुसार यह नील पर्वत से निकलकर सीतानदी की ओर जाती है तथा वक्षार और नील पर्वत के मध्य स्थित है।
गोदावरी : यह दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी है। इसका स्रोत ब्रह्मगिरि है, जो त्रयम्बक गाँव की ओर नासिक से बीस मील दूर है। यह पश्चिमी घाट से निकलकर विन्ध्य पर्वतमाला से होते हुए बङ्गाल की खाड़ी में गिरती है ।१५
१. महा २६।६३
८. महा ३२११६३ २ लाहा-वही, पृ० ३०५, दिनेश ६. हरिवंश ६०।१६; महा ७०।३२२
चन्द्र सरकार-वही, पृ० १०४ १०. महा ७१।३०६ ३. महा २६।६८
११. वही २६५० ४. लाहा-वही, पृ० २८३
१२. लाहा-वही, पृ० ५७७ ५. महा ५६।११६; हरिवंश २७।१३ १३. हरिवंश २२३६ ६. पप १०५।१६०, ६७।६६; हरिवंश १४. वही ३१।२; महा २६१६०, २६८५
५।१२३; महा २६।१२६-१५० १५. लाहा-वही, पृ० २५८ ७, हरिवंश १११३; महा २८।१३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org