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भौगोलिक दशा
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हरिवंश पुराण में इसकी स्थिति पश्चिम विदेह क्षेत्र सीता नदी और नील कुलाचल के मध्य बतायी गयी है।'
मंगला : महा पुराण में इसकी स्थिति जम्बूद्वीप में बतायी गयी है।'
महापद्मा : हरिवंश पुराण में पूर्व विदेह के सीता नदी और निषध पर्वत के मध्य में इसकी स्थिति वर्णित है।'
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र या मो-हो-ला-च अपने संकीर्ण अर्थ में दकन है। महाराष्ट्र गोदावरी और कृष्णा नदियों के मध्य स्थित था।' यह आधुनिक महाराष्ट्र प्रदेश है।
महावप्रा : हरिवंश पुराण में इसकी स्थिति पश्चिम विदेह के सीतोदा नदी और नील पर्वत के मध्य में बतायी गयी है।'
महिष : यह माहिषक से पृथक् था।
मालव' : शक्तिसंगमतंत्र में अवन्ती के पूर्व और गोदावरी नदी के उत्तर में इसकी स्थिति मानी गयी है ।
यवन' : पश्चिमोत्तर सीमान्त पर स्थित यूनानियों को योन या यवन कहा जाता था। इनकी स्थिति निश्चित करना दुष्कर है। ये पश्चिमोत्तर भारत में थे।
रम्यक या रम्या या रमणीया : पूर्व विदेह में सीता नदी और निषध पर्वत के मध्य में इसकी स्थिति बतायी गयी है।"
१. हरिवंश ५॥२४५ २. महा ७०1१८२ ३. हरिवंश ५२४६ ४. महा १६।१५४ ५. लाहा-वही, पृ० २८६ ६. हरिवंश ५।२५१ ७. महा २६८० ८. वही १६।१५३, २०४७; पद्म १०१।८१; हरिवंश ५०५८ ६. शक्तिसंगमतंत्र ३७।२१ १०. महा १६।१५५; पद्म १०१।८१; हरिवंश ५०७३ ११. वही १६।१५२, ५६।२; हरिवंश ५।२४७
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