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भौगोलिक दशा
विपुलाद्रि : इसे विपुलाचल भी कहा गया है ।" जैन पुराणों में विपुलाद्रि ( कुशाग्रगिरि) की स्थिति मगध ( राजगृह ) देश में बतायी गयी है । २
वैभार : जैन पुराणों में वैभार या वेभार को मगध देश में बताया गया है ।" शिखरी : जैन पुराणों में इसकी स्थिति जम्बूद्वीप में पूर्व से पश्चिम दो समुद्रों को छूने वाला बताया गया है । इसके ग्यारह कूटों (श्रेणियों) का उल्लेख है ।"
शेष : पद्म पुराण में इसकी स्थिति लंका में बतायी गयी है ।"
श्रीपर्वत : श्रीपर्वत या श्रीशैल कुर्नूल जिले में कृष्णा नदी के ऊपर है । साधारणतया इसे नासिक प्रशस्ति में वर्णित सिरितन से समीकृत करते हैं । "
सह्य' : इसका समीकरण पश्चिमी घाट से किया गया है ।
सिंहगिरि : महा पुराण में इसे भरत क्षेत्र के गंगा नदी के पास बताया गया है ।"
सिद्धकूट : इसे सिद्धिगिरि पर्वत भी कहा गया है ।" इसे बिहार के शाहाबाद जिले में बक्सर के समीप बताया गया है । १२
सुन्दरपीठ : महा पुराण में इसे लंका में बताया गया है । "
सुमेरु" : महामेरु या मेरु के सम्बन्ध में पूर्व ही पढ़ चुके हैं ।
सौम्य : हरिवंश पुराण में मेरु पर्वत के दक्षिण - पूर्व की ओर सौमनस्य पर्वत का वर्णन है ।" महा पुराण में हस्तिनापुर में सौम्य पर्वत का उल्लेख है ।
१६
१.
२
पद्म २1१०२, हरिवंश २४६२
वही ||४६ ; महा १।१६६;
७४।३८५, ७६।२ ३. हरिवंश १८ ।१३२; महा २६/४६,
४.
पद्म १०५।१५८, हरिवंश ५।१०५ -
५. वही ८०।६४
६. वही ८८।३६
७. लाहा- वही, पृ० ३१८।३१६
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८. पद्म २७।८७; महा ३०।२७
महा ७४।१६६
वही ४७४६
वही ६३ १३२
११.
६३।१४० १२.
१३.
१०८ १४.
६.
१०.
१५.
१६.
लाहा - वही, पृ० २१४
महा ६८।६४३
पद्म १|४८; हरिवंश २।३२;
महा ६२ २२
हरिवंश ५।२१२
महा ७०१२७६
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