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________________ ४४३ भौगोलिक दशा विपुलाद्रि : इसे विपुलाचल भी कहा गया है ।" जैन पुराणों में विपुलाद्रि ( कुशाग्रगिरि) की स्थिति मगध ( राजगृह ) देश में बतायी गयी है । २ वैभार : जैन पुराणों में वैभार या वेभार को मगध देश में बताया गया है ।" शिखरी : जैन पुराणों में इसकी स्थिति जम्बूद्वीप में पूर्व से पश्चिम दो समुद्रों को छूने वाला बताया गया है । इसके ग्यारह कूटों (श्रेणियों) का उल्लेख है ।" शेष : पद्म पुराण में इसकी स्थिति लंका में बतायी गयी है ।" श्रीपर्वत : श्रीपर्वत या श्रीशैल कुर्नूल जिले में कृष्णा नदी के ऊपर है । साधारणतया इसे नासिक प्रशस्ति में वर्णित सिरितन से समीकृत करते हैं । " सह्य' : इसका समीकरण पश्चिमी घाट से किया गया है । सिंहगिरि : महा पुराण में इसे भरत क्षेत्र के गंगा नदी के पास बताया गया है ।" सिद्धकूट : इसे सिद्धिगिरि पर्वत भी कहा गया है ।" इसे बिहार के शाहाबाद जिले में बक्सर के समीप बताया गया है । १२ सुन्दरपीठ : महा पुराण में इसे लंका में बताया गया है । " सुमेरु" : महामेरु या मेरु के सम्बन्ध में पूर्व ही पढ़ चुके हैं । सौम्य : हरिवंश पुराण में मेरु पर्वत के दक्षिण - पूर्व की ओर सौमनस्य पर्वत का वर्णन है ।" महा पुराण में हस्तिनापुर में सौम्य पर्वत का उल्लेख है । १६ १. २ पद्म २1१०२, हरिवंश २४६२ वही ||४६ ; महा १।१६६; ७४।३८५, ७६।२ ३. हरिवंश १८ ।१३२; महा २६/४६, ४. पद्म १०५।१५८, हरिवंश ५।१०५ - ५. वही ८०।६४ ६. वही ८८।३६ ७. लाहा- वही, पृ० ३१८।३१६ Jain Education International ८. पद्म २७।८७; महा ३०।२७ महा ७४।१६६ वही ४७४६ वही ६३ १३२ ११. ६३।१४० १२. १३. १०८ १४. ६. १०. १५. १६. लाहा - वही, पृ० २१४ महा ६८।६४३ पद्म १|४८; हरिवंश २।३२; महा ६२ २२ हरिवंश ५।२१२ महा ७०१२७६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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