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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन में स्थान देकर इन्हें आत्मसात कर लिया। यही कारण है कि जैन पुराणों में जिन अन्य देवी-देवताओं के नाम उपलब्ध हैं, वे जैनी-पारम्परिक देवताओं की श्रेणियों में नहीं आते। पद्म पुराण में यम, वैश्रवण, सोम, वरुण आदि के अभिषेक का उल्लेख है।
जैन पुराणों में लौकान्तिक देवता का उल्लेख मिलता है, जो श्वेतवर्ण, तुषित, वह्नि, अरूय, आदित्य आदि गुण से युक्त थे ।२ इन्हें लौकिक देवता कहा जा सकता है। हरिवंश पुराण में सोम को पूर्व दिशा, यम को दक्षिण दिशा, वरुण को पश्चिम दिशा और कुबेर को उत्तर दिशा का स्वामी बताया गया है।' महा पुराण में कुवेर को धन का स्वामी कथित है। अन्य देवताओं में माहेश्वर, ब्रह्मा, विष्णु, ईशान, सिद्ध एवं बुद्ध थे। इन्हें जैनेतर देवताओं में रखा जा सकता है। हरिवंश पुराण में वर्णित है कि वरदान देने वाली देवी को क्रूर-भील आदि जंगली जातियों ने भैसों का मांस-रुधिर देना प्रारम्भ किया, तभी से देवी को बलि देने की प्रथा चल पड़ी।' अन्य देवी-देवताओं में मुख्य निम्नवत् हैं-वन, जल, राहु,' नारद," यमराज," वेणु-वेणुदारी,२ आदि ।
१. पद्म ३१८५ २. वही ३।२६८; हरिवंश ५५।१०१; महा ५२१५० ३. हरिवंश ५।३२३-३२७ ४. महा ५२१६ ५. हरिवंश १७।१३१-१३२; पद्म २।६१ ६. वही ४६।३२ ७. महा १८१५२ ८. वही ४३१६५
६. वही ५४।२६७ १०. वही ६०७२, ६२।४३०-४४२ ११. वही ६२१४४३ १२. हरिवंश ५१६०
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