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सामाजिक व्यवस्था
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में भी हुआ है और यह मूल वैदिक 'मख' से आया है । वैदिक यज्ञ ही लौकिक जीवन में 'मह' के नाम से सम्बोधित होने लगा था । '
५. कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव (कौमुदी महोत्सव ) : जगदीश चन्द्र जैन के मतानुसार कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव ही कौमुदी महोत्सव है । सूत्रकृताङ्गटीका के वर्णनानुसार इस सुअवसर पर स्त्री-पुरुष उद्यान में केलि-क्रीडा करते थे ।
१. वासुदेव शरण अग्रवाल - प्राचीन भारतीय लोक धर्म, पृ० ४-३२ २. जगदीश चन्द्र जैन —- जैन आगम में भारतीय समाज, पृ० ३६१ ३. सूत्रकृतांङ्गटीका २७५
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