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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
प्रधानसामन्त, प्रतिसामन्त तथा करदीकृतमहासामन्त आदि शब्दों का प्रयोग कर बाण ने हर्षचरित में सामन्तों का वर्गीकरण किया है। ये सभी सामन्त अपने-अपने स्वामी के सम्बन्धों के कारण पृथक-पृथक् थे ।'
११. राजा के प्रमुख कर्मचारी : राज्य के सुव्यवस्थित संचालन के लिए राजा विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों की नियुक्ति करता था। राजा के आदेशों का कार्यान्वयन इन्हीं कर्मचारियों के माध्यम से होता था। महा पुराण का कथन है कि राजा अपने कर्मचारियों को समुचित सत्कारों द्वारा संतुष्ट रखता था, जिसके कारण वे उस पर अनुरक्त रहते थे और वे कभी भी उस राजा का परित्याग नहीं करते थे।२ राजा के प्रमुख कर्मचारियों का वर्णन अधोलिखित है :
(i) पुरोहित : जैन पुराणों के अनुसार राज्य में पुरोहित का महत्त्वपूर्ण स्थान था। राज्य के रक्षार्थ पुरोहित की नियुक्ति अनिवार्य थी। महा पुराण के अनुसार पुरोहित राजा को राज्य की भलाई के लिए परामर्श देता था और अनिष्ट कार्य के विचारणार्थ योग-क्षेम कराता था। पद्म पुराण में राजा के पुरोहित का रानी के साथ जुआ खेलने का उल्लेख भी मिलता है।
___ जैनेतर साहित्य से पुरोहित विषयक विस्तारशः जानकारी उपलब्ध होती है । ऋग्वेद से ज्ञात होता है कि युद्ध स्थल पर मंत्र, योग तथा पूजा आदि द्वारा विजय प्राप्ति के लिए राजा के साथ पुरोहित भी जाया करते थे। ब्राह्मण ग्रन्थों में वर्णित है कि यदि राजा दीर्घकाल तक यज्ञादि अनुष्ठान में व्यस्त रहता था, तो उस समय पुरोहित ही राज-कार्य संचालित करता था। पुरोहित की योग्यता के विषय में उल्लिखित है कि उसको मंत्र तथा अनुष्ठान में सम्पन्न, वेद त्रयी का ज्ञाता, कर्म तत्पर, जितेन्द्रिय,
१. वासुदेव शरण अग्रवाल-हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, परिशिष्ट १ २. कृतापदानं तथोग्यैः सत्कारैः प्रीणयन् प्रभुः ।
न मुच्यतेऽनुरक्तैः स्वैः अनुजीविभिरन्वहम् ॥ महा ४२११६० । ३. महा ३७।१७५; पद्म ४१।११५
स्थानांगसूत्र (७।५५८) में रत्नों में पुरोहित को सेनापति, गृहपति, वर्धकी,
स्त्री, अश्व और हस्ति में गणना की गयी है। ४. महा ५७; तुलनीय-विपाकसूत्र ५, पृ०३।३ ५. पद्म ५।४० ६. ऋग्वेद २।३।३ ७. आपस्तम्बधर्मसूत्र २०१२।१२, ३।१।१३; बौधायनधर्मसून १५२४
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