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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन आलोच्य पद्म पुराण' में संख्या के आधार पर सेना के चार अंग वणित हैंहाथी, घोड़ा, रथ तथा पियादा (पैदल)। इनका वर्गीकरण निम्नवत् किया गया है :
. [i] पत्ती : इसमें एक रथ, एक हाथी, तीन घोड़े तथा पाँच पैदल होते थे। . [ii] सेना : तीन पत्तियों से एक सेना का निर्माण होता था।
[iii] सेनामुख : इसका निर्माण तीन सेनाओं द्वारा होता था। [iv] गुल्म : एक गुल्म के अन्तर्गत तीन सेनामुख होते थे। [v] वाहिनी : त्रिगुल्मों द्वारा एक वाहिनी का निर्माण होता था। [vi] पृतना : तीन वाहिनियों से एक पृतना का सृजन होता था :
[vii] चम् : इसका निर्माण तीन पृतनाओं द्वारा होता था, जिसे चमू संज्ञा से सम्बोधित करते थे।
[vili] अनीकिनी : तीन चमू की एक अनीकिनी और दस अनीकिनी की एक अक्षौहिणी सेना होती थी।
पद्म पुराण में ही वर्णित है कि एक अक्षौहिणी सेना में इक्कीस हजार आठ सौ सत्तर रथ, उतने ही हाथी होते थे। उक्त संख्या से तीन गुना (६५,६१०) घोड़े और पांच गुना (१,०६,३५०) पैदल होते थे ।२ हरिवंश पुराण में एक अक्षौहिणी सेना में इसके विपरीत संख्या उपलब्ध होती है। इसमें नौ हजार हाथी, नौ लाख रथ, नौ करोड़ घोड़े तथा नौ सौ करोड़ पैदल सैनिक होते थे। परन्तु इसी पुराण की टिप्पणी में एक अक्षौहिणी सेना में वही संख्या कथित है जो उपर्युक्त पद्म पुराण में उल्लिखित है।
आलोचित जैन पुराणों में सेना में सम्मिलित होने वाले अंगों का भी उल्लेख है। जैन पुराणों में सेना के सप्तांग का वर्णन उपलब्ध होता है-हाथी, घोड़ा, रथ, पैदल, गान्धर्व, नर्तकी तथा बैल । परन्तु कहीं पर सेना के षडाङ्ग का वर्णन उपलब्ध
१. पद्म ५६।३-६ २. वही ५६।१०-१३ ३. हरिवंश ५०७५-७६ ४. वही, पृ० ५८८ की टिप्पणी ५. वही ८।१३३; महा १३।१६, ५२।४
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