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ललित कला नृत्य करने का विवरण महा पुराण में उपलब्ध है ।' हरिवंश पुराण के अनुसार उत्तम नृत्य में तीन प्रकृतियों - उत्तम, मध्यम एवं जघन्य — का होना अनिवार्य है और व्यवधान रहित गायन, वादन और नर्तन का प्रदर्शन होना चाहिए । पद्म पुराण में वर्णित है कि नर्तकों को समवेत स्वर में गाना चाहिए। दर्शक की संतुष्टि से ही प्रदर्शन सार्थक होगा । इसी लिए दर्शकों को संतुष्ट करने के लिए उनके नेत्र का रूप लावण्य से, श्रवण को मधुर स्वर से एवं मन को छवि तथा स्वर से आबद्ध करना चाहिए ।" महा पुराण के वर्णनानुसार नृत्य के समय विभिन्न वेश-ग्रहण करना चाहिए। पद्म पुराण में वर्णित है कि नूपुर-धारण कर नृत्य करने से नृत्यश्री की वृद्धि हो जाती है ।" जैन पुराणों के अनुसार नृत्य के समय भाव का प्रदर्शन कटाक्ष, कपोलों, पैरों, हाथों, मुख, नेत्रों, अंगराज, नाभि, कटि प्रदेश तथा मेखलाओं द्वारा किया जाता था । प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के अभिषेकोत्सव पर आनन्द नामक नाटक अभिनीत करने का उल्लेख पद्म पुराण में हुआ है ।" (२) नृत्य की मुद्राएँ जैन पुराणों के परिशीलन से नृत्य की मुद्राओं पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है । उपर्युक्त पुराणों के अनुसार नृत्य की प्रमुख मुद्राएँ निम्नोद्धृत हैं : १ - मन्द मन्द मुस्कान से देखना, २ - भौंहों का संचालना, ३ – स्तन कम्पन, ४ - मन्थर गति ५ – स्थूल नितम्ब का विभिन्न मुद्राओं में प्रदर्शन, ६ - भुजाओं का चलाना, ७ - कटि को हिलाना, ८-शरीर के नाभि आदि अवयवों का प्रदर्शन, ६ - लीलापूर्ण ढंग से पल्लव गिराना, १० - पृथ्वी तल छोड़-छोड़ कर नृत्य करना, ११ - नृत्य की अनेक मुद्राओं का शीघ्रता से परिवर्तन, १२ - केश - पाश का नृत्य द्वारा प्रदर्शन, १३ – कमर द्वारा नृत्य करना, १४ - नाभि-स्तन आदि प्रदर्शन एवं स्पन्दन करते हुए नृत्य करना, १५ – गायन के साथ नृत्य करना, १६ – कटाक्ष एवं हावभाव द्वारा नृत्य करना, १७ - गायन की ताल ध्वनि के आधार पर नृत्य करना, १८पुष्प, मृत्तिका एवं स्वर्ण के घटों को सिर पर रखकर नृत्य करना, १६ - शरीर को लोच के साथ नेत्रों द्वारा अपना अभिप्राय व्यक्त करते हुए नृत्य करना, घुमाकर नृत्य करना, २१ - नृत्य के समय विभिन्न रूप ग्रहण करना, पर नर्तकी तथा दूसरे पर नर्तक को नृत्य कराते हुए स्वयं भुजा आदि ।"
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२० - हाथ को
२२ – एक भुजा
पर नृत्य करना
१.
महा ४७।११ २. हरिवंश २२।१२-१४
३.
४.
८.
५.
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पद्म ३८|१३
महा १४ । १४५ - १४७; हरिवंश
२१४७
पद्म ३७।१०८ - ११०
महा १४।१६५ - १६६
७.
पद्म ३।२१२
पद्म ३७।१०४ १०७; महा १२।१६६ - १६७, १४।१२६, १४ १३२, १४/१५३,
१४।१६५ - १६६
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