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सामाजिक व्यवस्था
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आढ़की' : यह अरहर के अर्थ में प्रयुक्त होता है। सर्वसाधारण में दाल के रूप में इसका प्रयोग होता है।
मुद्ग : इसे मूंग कहते हैं । यह सम्पूर्ण भारत में उपलब्ध दाल है।
मसूर : इसकी परिगणना दलहनों में होती है। मनुष्य इसका उपयोग भी करते हैं, साथ ही पशुओं को भी खाने के लिए दिया जाता है।
तिल : महा पुराण में तिल का उल्लेख साठी, चावल कलम, नीवार के साथ हुआ है। जैनेतर वायु पुराण एवं ब्रह्माण्ड पुराण में भी व्रीहि, यव, गोधूम के साथ तिल का वर्णन उपलब्ध है। इन्हीं पुराणों द्वारा यह भी स्पष्ट होता है कि सूरा एवं आस में भी तिलचूर्ण का प्रयोग होता था।
माष : उड़द का अन्य नाम माष है। यह अत्यन्त उपयोगी एवं पौष्टिक दाल है। महा पुराण में इसका वर्णन खाद्यान्नों के साथ हुआ है। पद्म पुराण में भी इसका उल्लेख है।
चना : महा पुराण में चना के लिए चना : शब्द प्रयुक्त हुआ है। विशेषतः यह उत्तर भारत का खाद्यान्न है। इससे विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ निर्मित किये जाते हैं।
निष्पाव : खाद्यान्नों के साथ निष्पाव" का भी उल्लेख महा पुराण में उपलब्ध है। इसे मोठ भी कहते हैं तथा दाल के रूप में प्रयोग करते हैं।
बरका : मटर के लिए बरका" शब्द का प्रयोग महा पुराण में हुआ है। इसको बटाने भी कहते हैं ।
त्रिपुट१२ : इसके लिए हिन्दी में तेवरा शब्द प्रयुक्त हुआ है। १. महा ३।१८७ २. वही ३।१८७; पद्म २१७ ३. वही ३११८७ ४. वही ३।१८६-१८७ ५. वायु ८.१४३-१४६; ब्रह्माण्ड २।७।१४२-१४६ ६. वही ६६।२८७; वही ३७१४०६ ७. महा ३११८७
१०. महा ३।१८७ ८. पद्म ३३।४७
११. वही ३३१८६ ६. महा ३११८७
१२. वही ३।१८८
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