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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
[] प्रसाधन जैन पुराणों में प्रसाधन सामग्री तथा प्रक्रिया दोनों का विवरण उपलब्ध होता है । स्त्री और पुरुष दोनों ही प्रसाधन करते थे । स्त्रियों में नख से लेकर सिर तक प्रसाधन का प्रचलन था । पुरुषों में भी प्रसाधन-प्रियता पायी जाती है। यहाँ पर हम प्रसाधन-सामग्री एवं उसका उपयोग करने की व्याख्या की है। इसका वर्णन करने के उपरान्त केश के विभिन्न प्रकार के बनावट और तदुपरान्त पुष्प से प्रसाधन करने की विवेचना की है।
१. प्रसाधन-सामग्री एवं उसका उपयोग : जैन पुराणों में स्त्री-पुरुषों के प्रसाधन-सामग्री का विशद विवरण उपलब्ध है । अधोलिखित प्रसाधन-सामग्रियों का विशेष महत्त्व है :
. (i) मञ्जन' : स्नान करने के लिए स्नान-सामग्री प्रयुक्त होती थी। इसके प्रयोग से शारीरिक स्वच्छता, स्फूर्ति एवं कान्ति प्राप्त होती थी।
(ii) तिलक : स्त्री और पुरुष दोनों ही अपने ललाट पर तिलक लगाते थे। तिलक रहित ललाट शून्य और अमांगलिक समझा जाता था। पुरुष ललाट पर चन्दन, शेखर, गोरोचन आदि का तिलक लगाते थे। स्त्रियाँ सौभाग्यसूचक लाल रंग की बिन्दी एवं सिन्दूर लगाती थीं।
(iii) काजल' : स्त्री-पुरुष अपनी आँखों की रक्षा एवं सौन्दर्य-वृद्धि के लिए अञ्जन (काजल) का प्रयोग किया करते थे।
(iv) भौंह का शृगार : आधुनिक युग की भाँति उस समय भी स्त्रियाँ सौन्दर्य-वृद्धि के लिए अपने भौंहों का प्रसाधन किया करती थीं।
(v) पत्ररचना : स्त्रियाँ सौन्दर्य-वृद्धि एवं आकर्षणार्थ हस्त निर्मित पत्ररचना के चित्रों से अपने कपोलों को चित्रित करती थीं।
(vi) ओष्ठ रंगना : स्त्री-पुरुष दोनों ही अपने अधरों (ओष्ठों) को रंगते थे। इससे उनके सौन्दर्य में अभिवृद्धि हो जाती थी। जिनके अधर रक्त वर्णीय होते थे, वे पान के रस के संसर्ग से अत्यधिक लाल हो जाते थे । १. महा २०।२०
५. महा ४३।२४७ २. वही १४।६
६. वही ७।१३४ ३. वही २७।१२०
७. वही ४३।२४८ ४. वही ४३।२४७
८. वही ४३।२४६
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