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सामाजिक व्यवस्था
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(i) किरीट' : चक्रवर्ती एवं महान् सम्राट् ही इसको धारण करते थे । इसका निर्माण स्वर्ण से होता था । यह प्रतिभाशाली सम्राटों की महत्ता का सूचक था । (ii) किरीटी : महा पुराण में इसका वर्णन उपलब्ध है । इसका निर्माण स्वर्ण और मणियों द्वारा होता था । किरीट से यह छोटा होता था । स्त्री-पुरुष दोनों ही इसको धारण करते थे ।
(iii) चूड़ामणि' : पद्म पुराण में चूड़ामणि के लिए मूर्ध्निरत्न का प्रयोग हुआ है ।" राजाओं एवं सामन्तों द्वारा इसका प्रयोग किया जाता था । चूड़ामणि के मध्य में मणि का होना अनिवार्य था । महा पुराण में चूड़ामणि के साथ चूड़ारत्न भी व्यवहृत हुआ है ।" इन दोनों में अलंकरण की दृष्टि से साम्यता थी, किन्तु भेद मात्र नाम का ही है । साधारणतया दोनों शब्द पर्यायवाची हैं ।
(iv) मुकुट : यह राजा और सामन्त दोनों के ही सिर का आभूषण था । किरीट की अपेक्षा इसका मूल्य कम होता था । तीर्थंकरों के मुकुट धारण करने का उल्लेख जैन ग्रन्थों में उपलब्ध है । राजाओं के पञ्चचिह्नों में से यह भी था । निःसंदेह मुकुट का प्राचीन काल में अत्यधिक महत्त्व था । विशेषतः इसका प्रचलन राजपरिवारों में ही था ।
(v) मौलि" : डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल के मतानुसार केशों के ऊपर के गोल स्वर्णपट्ट को मौलि संज्ञा प्रदान की गयी हैं । रत्न रश्मियों से जगमगाने वाले, स्वर्ण सूत्र में परिवेष्ठित एवं मालाओं से युक्त मौलि का उल्लेख पद्म पुराण में उपलब्ध है । किरीट से इसका स्थान निम्न प्रतीत होता है, किन्तु सिर के अलंकारों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान था ।
१.
२.
३.
पद्म ३६ ७; महा १४४, ४६४, १४८; हरिवंश ११।१३
४. वही ७१।६५
५.
महा २६।१६७; तुलनीय - कुमारसम्भव ६।८१; रघुवंश १७ २८
वही ३६१, ३ १३०, ५५४, ६।४१, १०।१२६ पद्म ८५१०७, हरिवंश ४१।३६; तुलनीय - रघुवंश ६।१३
महा ६८ ६५०, ११।१३३; पद्म ११८ | ४७; तुलनीय - रघुवंश १०।७५ वही ३१७८
६.
७. पद्म ७१।७, ११।३२७; महा ६।१८६; तुलनीय - रघुवंश १३।५६
८. वासुदेव शरण अग्रवाल - हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० २१६
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