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अविश्वासी-अशब्द संस्थाके अध्यक्ष आदिमें विश्वास न रह जानेका प्रस्ताव जो अपवादरहित; स्थायी, नित्य; सदाचारी। विधानसभा या उक्त संस्था में पुरःस्थापित किया जाय । अव्यय-वि० [सं०] अविकारी; अक्षय; नित्य; कंजूस । पु० अविश्वासी (सिन)-वि० [सं०] विश्वास न करनेवाला; | वह शब्द जिसका रूप सब वचनों, लिंगों, विभक्तियों में श्रद्धाहीन; जो विश्वासके योग्य न हो।
एक ही रहे; ब्रह्मः शिवः विष्णु; कंजूसी । अविप-वि० [सं०] विषहीन; विषहारका रक्षक। पु० अव्ययित शेष-पु० [सं०] (अनरपेंट बैलेंस) किसी कामके समुद्र; राजा; आकाश।
लिए निर्धारित या जमा किये हुए धनका वह अंश जो अविषय-वि० [सं०] जो किसी इंद्रियका विषय न हो, व्यय न किये जानेके कारण बच गया हो । अगोचर प्रतिपादनके अयोग्य निविषय ।
अव्ययीभाव-पु० [सं०] वह समास जिसमें पूर्वपद अव्यय अविसर्गी (निन्)-वि० [सं०] न हटनेवाला, लगातार हो; अनश्वरता; व्ययाभाव (निर्धनताके कारण) । बना रहनेवाला (ज्वर)।
अव्यर्थ-वि० [सं०] व्यर्थ न होनेवाला; सफल; अचूक । अविस्तीर्ण-वि० [सं०] जो अधिक न फैलाकर छोटा कर | अव्यवसायी (यिन् )-वि० [सं०] उद्यमहीन । दिया गया हो।
अव्यवस्था-स्त्री० [सं०] नियम, व्यवस्थाका अभाव, बेकाअविस्तृत-वि० [सं०] ठसा हुआ, घना ।
यदगी, गड़बड़, बदअमली; शास्त्रविरुद्ध व्यवस्था । अविहड़*-वि० अविनाशी; बीहड़ ।
अव्यवस्थित-वि० [सं०] व्यवस्थाहीन; शास्त्रमर्यादाके अवृथा-अ० [सं०] व्यर्थ नहीं, सफलतापूर्वक ।
विरुद्ध अस्थिर । -चित्त-वि० जिसके विचार बदलते अवृष्टि-स्त्री० [सं०] अवर्षण, सूखा ।
रहे, अस्थिरचित्त। अवेक्षण-पु० [मं०] देखना; निरीक्षण, देख-भाल ।
अव्यवहार्य-वि० [सं०] व्यवहारके अयोग्य, जो काममें न अवेक्षणीय-वि० [सं०] देखने योग्य निरीक्षण योग्य ।
लाया जा सके। जिसके साथ खान-पानका व्यवहार न अवेक्षा-स्त्री० [सं०] देखना; ध्यान, खयाल ।
रखा जा सके, जातिच्युत । अवेज*-पु० बदला।
अव्यवहृत-वि० [सं०] जिसकाव्यवहार न किया गया हो। अवला-स्त्री० [सं०] अनुपयुक्त समय, कुबेला; चर्वित अव्यसन-वि० [सं०] व्यसनहीन, जिसे कोई बुरी लत ताम्बूल या पूग ।
न लगी हो । पु० व्यसनका अभाव । अवेश*-पु० दे० 'आवेश'।
अव्याख्यात-वि० [सं०] जिसकी व्याख्या या स्पष्टीकरण अवेस्ता-स्त्री० [पह? ] पारसियोंकी मूल धर्म-पुस्तक, न किया गया हो। जेंद-अवेस्ता।
अव्याज-वि० [सं०] बिना छल-कपटका । पु० छल-कपटका अवैतनिक-वि० [सं०] वेतन न पाने या न लेनेवाला,
अभाव; सरलता; ईमानदारी। 'ऑनरेरी'।
अध्यापन्न-वि० [सं०] जो मरा न हो, जीवित । अवैदिक-वि० [सं०] वेदविरुद्ध; अवेदोक्त ।
अव्यापी (पिन्)-वि० [सं०] जो सर्वव्यापी न हो; अवैद्य-वि० [सं०] जो बैद्य या विद्वान् नहीं है ।
सीमित, परिच्छिन्नजो सामान्य न हो, विशेष । अवैध-वि० [सं०] विधिविरुद्ध, (इल्लीगल) कानुनके अव्याप्त-वि० [सं०] जो सर्वत्र व्याप्त न हो; परिच्छिन्न । विरुद्ध, अविहितः विधानविरुद्ध, गैर-आइनी। -जात- अध्याप्ति-स्त्री० [सं०] अधूरी व्याप्ति; लक्षणका लक्ष्यपर वि० (इल्लिसिट) अवैध रूपसे उत्पन्न या प्राप्त ( सन्तान,
घटित न होना (न्या०)। आमदनी इ०)। -निरोधन-पु० ( रांगफुल कनफाइ- | अव्युत्पन्न-वि० [सं०] अकुशल, अदक्ष, अनुभवहीन; जो नमेंट) किसी व्यक्तिको अवैध रूपसे रोक रखना, कमरे या (शब्द) व्याकरणसे सिद्ध न हो सके व्युत्पत्तिरहित । घर आदिमें बन्द कर देना। -प्रषण-पु० (स्मग्लिग) | अव्रत-वि० [सं०] शास्त्रविहित नियमों, कर्तव्योंका पालन चुगी आदिसे बचानेकेलिए (कोई माल) अवैध रूपसे | न करनेवाला, व्रतहीन । पु० व्रतत्याग (जैन)। भेजना या मँगाना; अपहरण (को०)।
अव्वल-वि० [अ०] पहला, प्रथमः सर्वश्रेष्ठ । पु० आदि, अवैधाचरण-पु० [सं०] (इल्लीगल प्रैक्टिस) विधि या आरंभ। -तो-पहले तो, प्रथमतः । मु०-आनाकानूनके विरुद्ध किया जानेवाला व्यवहार या आचरण । रहना-प्रतियोगितामें सर्वप्रथम आना। अवैमत्य-पु० [सं०] ऐक्यमत; मतभेदका अभाव । अशंक, अशंकित-वि० [सं०] शंकारहित; निर्भय; निरापद। अव्यक्त-वि० [सं०] अप्रकट, अदृश्य; अझय; अनाविभूत; अशकुन-पु० [सं०] असगुन, अशुभ लक्षण। अज्ञात; अनुच्चार्य; अनिश्चित । पु० मूल प्रकृति, अविद्या | अशक्त-वि० [सं०] शक्तिहीन,कमजोर; असमर्थ; अयोग्य । ब्रह्म आत्मा; सूक्ष्म शरीर; शिव, विष्णु, कामदेव; मूर्ख | अशक्ति-स्त्री० [सं०] निर्बलता; असामर्थ्य । व्यक्ति; सुषुप्ति अवस्था । -गति-वि० अलक्षित गमन | अशक्य-वि० [सं०] जो न हो सके, असाध्य; जो काबूमें करनेवाला ।-राग-वि० हलका लाल, गुलाबी-राशि न किया जा सके। -स्त्री० वह राशि जिसका मान निश्चित न हो (बीग०)। | अशत्रु-वि० [सं०] शत्रुरहित; जिसका शत्रुओंकी औरसे -साम्य-पु० अव्यक्त राशियोंका समीकरण ।
। विरोध न हो । पु० चंद्रमा शत्रुरहित होनेकी अवस्था । अव्यभिचार-पु० [सं०] एकनिष्ठता, वफादारी; नित्य | अशन-पु० [सं०] भोजन; भोज्य पदार्थ भक्षण; पहुँचना। साहचर्य ।
अशनि-पु०[सं०] वज्र, बिजली अस्त्रास्वामी इंद्र; अग्नि । अन्यभिचारी (रिन् )-वि० [सं०] अविरोधी, अनुकूल; | अशब्द-वि० [सं०] जो शब्दोंमें व्यक्त न हुआ हो; मूक;
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