Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
View full book text
________________
विषय - प्रत्येक दिशा विदिशा में पृथिवी आदि आश्रित त्रसजीवों को परिताप
१२
देने से संसार भ्रमणकाय के समारम्भ में
अन्य प्राणियों की हिंसा काय की हिंसा में परिज्ञा ( सकाय समारंभदोष )
उपभोगद्वार
वेदनाद्वार सजीवविराधनाफल सजीवहिंसाप्रयोजन
उपसंहार
उद्देशसमाप्ति
सप्तम उद्देश (वायुकाय ) वायुकायविराधनविवेक
वायुकायलक्षण
वायुकायप्ररूपणा वायुकायपरिमाण
वायुका यशस्त्र
वायुकाय की हिंसा में पड़जीवनिकायरूप लोक की हिंसा
द्रव्यलिङ्गिकृत वायुकायविराधना
वायुकायोपभोग
वायुविराधनादोप
वायुविराधनापरिहार
मुखस्त्रिकाविचार पइनिकायारम्भदोष पजीवविराधनापरिहार प्रथम अध्ययन समाप्ति
पृष्ठाङ्क
६५७
६५९
६६३
६६४
६६६
६६७
६७०
६७३
६७५
६७६
६७७
६८३.
६८४
६८५
६८६
६८९
६९०
६९३
६९६
७००
७०४
७१२
७१७
७२०
mr t