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दशम अध्याय
मानवप्रकृति और मांसाहार .. . .. मांसाहार धर्मशास्त्रों द्वारा निषिद्ध है, किन्तु यह मानव. प्रकृति
के भी सर्वथा विरुद्ध है। मनुष्यः प्रकृति (स्वभाव) से शाकाहारी प्राणी है, मांसाहारी नहीं। मांसाहारी और शाकाहारी प्राणियों की शारीरिक बनावट में बड़ा अन्तर होता है । मांसाहारी और शाकाहारी प्राणियों का प्रकृतिगत अन्तर नीचे की पंक्तियों में देखिए-....
। मनुष्य के पंजे, पेटं को नालियां और प्रान्त उन पशुओं के समान बनी हुई हैं जो मांसाहार नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए - जैसे गौ, घोडा, बन्दर आदि पशु मांसाहारी नहीं हैं। इसके विपरीत, - शेर, चोतां आदि पशु मांसाहारी हैं। जो शारीरिक अवयव गौ आदि
पशुओं के होते हैं, शेर आदि पशुओं के वैसे अवयव नहीं होते । मनुष्य .. के शरीर को रचना भो मांसाहारी पशुओं को शरीर-रचना से सर्वथा भिन्न पाई जाती है । अतः मांसाहार मनुष्य का प्राकृतिक भोजन नहीं
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“मांसाहारी पशुओं की आंखें वर्तुलाकार-गोल होती है, जबकि मनुष्य की प्रांखों की ऐसी स्थिति नहीं होती।
मांसाहारी पशु कच्चा मांस खाकर उसे पचा सकता है जबकि मनुष्य की ऐसी दशा नहीं होती।
मांसाहारी पशुओं के दांत लम्बे और गाजर के आकार के समान तीक्ष्ण पने होते हैं,और एक दूसरे से दूर-दूर अर्थात् पृथक्-पृथक् होते हैं,
जब कि शाकाहारी पशुओं के दांत छोटे-छोटे,चौड़े-चौड़े और परस्पर ... मिले हुए होते हैं । मनुष्य के दांतों की स्थिति शाकाहारों पशुत्रों के
समान होतो है।