Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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समर्पण
__ जिन्होंने अज्ञान और मोहरूपी अंधकार में पड़े हुए मुझको सम्यग्ज्ञान और सम्यक्त्व स्वरूप प्रकाश पुज दिया एवं चारित्र युक्त कराया, जो मेरी गर्भाधान क्रिया विहीन जननी हैं, गुरु हैं, जो स्वयं रत्नत्रय से अलंकृत हैं और जिन्होंने अनेकानेक बालक बालिकाओंको कौमार व्रतसे तथा रत्नत्रयसे अलंकृत किया है, जिनकी बुद्धि, विद्या, प्रतिभा और जिनशासन प्रभावक कार्योंका माप दंड लगाना अशक्य है उन आर्यिका रत्न, महान विदुषी, न्याय प्रभाकर परम पूज्या १०५ ज्ञानमती माताजी के पुनीत कर कमलोंमें अनन्य श्रद्धा, भक्ति और वंदामिके साथ यह ग्रन्थ सादर समर्पित है।
-आर्यिका जिनमती
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