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प्रमुखका भाषण.
लोकलयकी के बारकाई ठहराव हो चुके हैं, उनको फेर उल्लेख कर मैं आर लोगो का समय नहीं लेना चाहता केवल बङ्गालके आदर्श पाठशालेका उल्लेख करना इस नव जाशालेको बुनियाद एक रमणीने डाली है। इसमें आरसले धर्मको
दी जाती है। पुस्तके वहा के सिवाय सांलाकिनिया तथा भाई बहन आदि मानवता निसाना जाता है। इसकसिवाय र बाईबताना, कम खर्चसे किस
कार लाते हैं इत्यायिक शिक्षा दी जाती है। हमारे ख्या "
भीको लिये पाठशालाये खोल
ससी सोनिया के सभी चित्त उसी माफी नि मा सार हार का पालनता, टा, कुसंग इ. मान
विकी, बिका तथा सुखका
.. सात लाता है। कभण! यदि इस ........ हमार पोटेगा । कोसी कार्य योग्य नबिल बहाक बयान में इसका प्रवेश यानमारकर
की पराकर
है
या माहिती नावनों को तक हो सके इसका निर्नु करा पा मारना चाहिये । मनु की प्रावित्रिम है। यह रोग प्रायः परस्पर , स्था, अनु का रीतिले प्रतिष्टाको अभिल, स्वार्थ लत्परता, दुसरेकी उ. जति नहीं ह सकत प्रत्यादि कारणले उनमा हात्य है । यदि हमारा जैन धर्म क्षम मा माया गुण प्रधान है, परन्तु लमय के हेर बोरसे परस्पर संबका क्षय हो. कर वैरभावको वृद्धि होती जाती है । इल के कथनसे मेरा यह लातर्य नहीं है कि सर्वथा सब पुरुष दिले हैं अथवा किसी व्यक्ति विशेषसे कोई अभिप्राय हो, किन्तु यही आशय है कि अनेकता का संसर्ग हमारे आतिमें अवश्य है । देखिये ! जब यह धर्म श्री तीर्थंकरों के द्वारा पूर्णरुपले विस्तृत था उस समय केवल एक जैन शहले ही अपनि जाति भूषितथी और उसी एकता का प्रचार कर जो कुच्छ लाभ इस जातिने उठाया उसका ज्यादा वर्णन करनेकी आवश्यकता नहीं है। भाईयो ! हम अपनी उन्नति करनेमें कटिबद्ध हुये हैं । इस समय हमें एक दुसरे की सहायता लेनी पडेगी । सिवाय कुल भाईयों के मिलित सहायता से जातीय उन्नति होना कठिन है। जो काम एकसे नहीं होता, दश मिलकर उसे आसानी से कर डालते हैं। उस दिन एकबिलायती मासिक पत्र हमारे हाथ लगाथा । इस पत्र चीनके बक्सर युद्ध के समय प्रकाशित हुया था। इसमें सम समायिक दो सुन्दर तसवीरे थीं । प्रथम तसवीरमें एक राक्षसके दो हाथ