Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference
View full book text
________________
१८०७ ]
પરદેશી ખાંડમાં રહેલી ભ્રષ્ટતા.
[ २८७
आवी पडेला होवाथी सोंघो परदेशी माल वापरवाने तत्पर थाय छे, आमां तेओने झाझो ठपको आपी शकाय नहीं. बेशक जेवी स्थिति तेने अनुसरीने वर्तवुं एज डहापण छे, परंतु आपणा लोको बधी बाबतमां, आवुं डहापण बतावता नथी तेथी तेओनी आर्थिक दक्षतानी प्रशंशा थई शके तेम नर्थ. तकरारनी खातर मानीए के लोको स्थितिना प्रमाणमां थोडा खरचे व्यवहारनी नभावणी करवाने लेईनेज परदेशी माल पसंद करे छे अने तेमां परदेशी खांडने पण पसंदगी मळे छे. आपणे आ दलील कबुल राखीशुं पण बीजी रीते आ सवाल तपासतां पैसानो बचाव करवा जतां शरीरनी हानि थवानो सोए नवाणु टका संभव रहेलो छे. एटलुंज नहीं पण शरीर करतां पण जे कोमो (जीव करतां पण ) धर्मने प्यारो गणे छे, ते धर्मनुं तो परदेशी खांड जेबी भ्रष्ट चीज वापरवाथी निकंदनज वळे छे. अने ज्यारे शरीर संपत्ति जे वस्तुना उपयोगथी नाश पामे छे तथा धर्म घरबोळ जाय छे तो अमुक पैसानी हानिनो सवालज क्षुद्र अने निर्जीव लागे छे. वळी जेने आपणे सोंधु गणी पैसो बचाववा पसंद करीए छीए ते वस्तु जो वापरवी बंध करीए अने थोडी मोंघी पण शारीरिक, धार्मिक तथा आर्थिक द्रष्टि आपणुं हितकर्ता परिणामे जणाय तो तेवी वस्तुने आपणी बीजी वपराशनी वस्तु वोहोरवाना काममां करकसर करी शा माटे पसंद करवी जोइए, ते समजातुं नथी. हिंदुओ जीवदयाना हिमायती छे अने तेमां पण जैनोनुं जीवन तो जीवदयाना सिध्वांतने जींदगीना भोगे पण पाळवाने बंधायेल छे. अने तेथी अहिंसा परमो धर्मः ए जैन धर्मनुं पहेलुंज सूत्र छे. आवा दयामय धर्मना हिमायती जीवडाए तो जीवदयानी हानिना गंधमात्रथी हजार कोश दुर रहेवुं जोइओ.
उपरना लखाणमां आपणे जोइ लीधुं छे के परदेशी खांडने साफ करवाना काममां बळदनु लोही तथा हाडकानो चुनो बापरवामां आवे छे, अने तेने हजु सुधी सत्तावार रीते कोइ बाजुथी खोढुं पाडवामां आवेल नथी. खोराकनी साथे शरीरनी नीसबत केवी नाजुक छे ते समजाववानी आ विषयना वांचनारने जरूर होयज नहीं, केमके एतो नानुं छोकरूं पण कही शकशे के शरीरनो आधार खोराक उपरज रहेलो छे, अने तेमां पण जेवो खोराक तेवुं शरीर ने तेवीज बुध्ध थाय छे, ए तो कुदरतीज करामत छे. `तेटलाज माटे आपणामां आहारशुध्धिनुं माहात्म्य गणेलुं छे. आपणे तो खोराकना संबंधमां एटला उंडा उतरेला छीओ के दुनियानी कोइपण प्रजा आपणी हरीफाई ए विषयमां करी शके तेम नथी. मांसाहार तो मूळ ने केटलीक लीलोतरी पण आपणे वर्जित छे अने ते वैदक वर्जित करेली छे. मांसाहारी इंग्लंड आजे अन्नफळशाकनो
बाजुपर रह्यो पण कंद
नियमप्रमाणे सकारण आहार पसंद करवा

Page Navigation
1 ... 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428