Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 420
________________ 3७४ ] જેન કે ફરન્સ હેરલ્ડ [ડીસેમ્બર गांवोका नाम जो ऊपर लीखे मुजब ठहराव पास हुये और पंचोकी सहीली. १ घाणसा ९ लारवावा १७ मोरसीम २ बागोडा १० घुमडिया १८ काबतरो ३ कोरा ११ भागल १९ नासोली ४ लेदरेमेर १२ बोरटा २० आजोदर ५ जाखडी १३ मालवाडा २१ बडगांव ६ करडा १४ पुनासा २२ पूरण ७ दासूफां १५ नरतां २३ राणी वाडा बडा ८ बाली १६ राणीवाडा छोटा २४ सीलासण गांवोकै ठहराव पास कराये गये ... जैन कोममें हडीके चुडी पहीरनेका जो महा दुष्ट रीवाज चलताहे, इस्को बंध करनेकी खास फर्ज. जैन मुनिराज व समस्त श्वेतांबर जैन मीत्रमंडलको क्यों कर न्हीहै विनंति लावणीमें. देशी-मुझ उपर गुजरी पिता पादशा जाणी. प्रिय-जैनी बंधुओं सुनो बीनति आजे । सउ करो ऐक्यता जीव दयाके काजे. गजराजकी अनुकंपा क्यों नहीं लाते । चुडीके कारण हाथ्यो मारे जाते ॥१॥ टेरजबसें ये चुडी जैन कोममें छाइ । तबसें बीगडतहे अपने जाती भाई ॥ दुखीया बहु होगए समझो तुम सब भ्राते ॥२॥ चुडी ॥ लापो रूपेयुही बीगडे जाते सालाना । सब बंधु मीलकर सुमति मनमें लाना । कभी सुष त्रस हींसासें नही पाते ॥३॥ चुडीकंजली बन भीतर खड्डे हींसक करते । अंधेरे मांही हाथ्थी उसमें गीरते ॥ फीर कई सस्तरसें दुक २ हो जाते ॥ ४॥ चुडीदर साल सीतर हजार हाथी कटाते । बहु धन हड्डीका हींसक तुमसे पाते ।। श्री बीरसासनकी उन्नति क्यों नही चाहते ॥५॥ चुडीतुम सुची राखण करी बहुत चतुराई । कर हड्डी पहीरते कहां गइ सीधाई ।। क्यों भोजन भक्ती उसी हाथ करवाते ६॥ चुडीइस कलियुगमाही केसी कुमत्ती छाई । करोडों रुपे युही जाते हैं वटेना पाइ ॥ गफलतकों छोडो सुधारो अपनी न्याते ॥७॥ चुडी

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