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3१८] . . . न ३२ ९२८६. .. [अटम थया छीए. जेम शरीर, कोइ पण अंग बगडता, तेनु परिणाम आखा अंगने खमवू पडे छे, तेमज देशनी सर्व प्रजाओमांनी एक प्रजा, पोताना बीजा अंगो, प्रजाओ, बंधु कोमोने, भुली जाय तो तेने पण म्खम, पडे छे. पेट पोतानुं काम करवा ना पाडे, हाथ पोता काम करवा ना पाडे, दांत पोतानुं काम करवा ना पाडे, मगज पोतार्नु काम करवा ना पाडे, अने दरेक अवयव स्वतंत्र थवा इच्छे तो तेना परिणामे शरीर नाश पामे छे. एटले के ए सर्व जुदा जुदा अंगो पण नाश पामे छे. आपणे व्यवहार अने निश्चय बन्नेने माननारा, बहेबारने निश्चय करतां पण प्रथम अगत्य आपनारा. छीए त्यारे जे माणस एम कहेतो होय के आपणे बीजी प्रजाओ के कोमोनी वात सांभळवानी के दाखलो लेवानी जरूर नथी, तेनु कहे, पडी भांगे छे. - त्यारे एक पारसी जेवी नानी कोमपर नजर करो ! तेओ देशमां जेम आपणी माफक मोटामा मोटा वेपारीओ पण छे, तेमज तेओ पोतानी संख्या घणी नानी छतां पण, आपणने विचारमा नांखी दे एवी अगत्यनी जग्याओ धरावे छे. तेओए मोटा मोटा ओधाओ भोगव्या छे ने हाइकोर्टना जडजो, लेफटेनन्ट करनलो, बेरीस्टरो, वकीलो, मोटा तबीबी ‘अमलदारो वीगेरे मोटा होदाओ भोगवेछे ! धारा सभाओमां अने पार्लामेन्टमां तेओ गाजे छे. कोलेजोमां तेओ प्रोफेसरो तरीके नामांकित जग्याओ धरावे छे ! राज्योमां पण दिवान, सेनापति, महेसुल अधिकारी, नवाब, सरदार विगेरेना पद भोगवे छे ! सखावतमां पण तेवीज अमर कीर्ति धरावे छे ! वेपार, उद्योग, अने हुन्नरकळामां पण तेवुज उच्च पद धरावे छे, ए शुं आपणे दाखलारूप नथी ?
कोइ वस्तुमाथी सार के असार खेंचवो एनो मुख्य आधार मनुष्यबुध्धिनी जोडे निकट सबंध धरावे छे. जे कुटुंब, जे जाति के जे देशमां बुध्धिनी विशेष खीलवणी, ते कुटुंब, ते जाति के ते देशनी विशेष उन्नतिः अने जे व्यक्ति के जातिमां तेनी न्युनता, ते व्यक्ति के जातिनी उन्नतिनी पण न्युन्यता. आपणामां ज्यारथी बुध्धिनी खीलवणी करवानुं काम अटकयुं त्यारथीज आपणी उन्नतिनो क्रम पण अटकी गयो छे. जो आपणे आपणी बुध्धिनो सदुपयोग न करीए तो तेनो दुरुपयोग तो आप मेळेज थई जाय छे. केमके मनुष्यवृति कोइ पण क्रियामां भाग लीधा वगरज केवळ शुद्ध थईने बेसी शकती नथी. आपणुं पण तेमज थयुं छे. व्यवहार के परमार्थनी क्रियाओनो बुधिपूर्वक उपयोग आपणे भूल्या छीए अने परिणाम ए. आव्यु