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3५२ से १२८६.
[पुन: १ सा० रिषभदासजी नाहार.
२ . सा० फुलच दजी संघवी ३ सा० कुनणजी कालुरामजीके ऊंकारलालजी. ४ सा० मोतीलालजी संघवी. ५ सा० मोतीलालजी महता.
६ सा० जडावचन्दजी चांपरोत. ७ सा० जीतमलजी. आदि.
ऊमेद है की वहां वाले ईस लेख पर पाया बंध रहेंगें. और विदेशी चीनीका व्यवहारतो वहां के कुलही जातो वाले विसर्जन करचुके हैं.
" बादमें आपका ता० (-४-०७ को सैलानाकी तरफ पधारना हुवा वहां पाठशाळाका कार्यका कोठारीजी हरीसिंहजी साहबकी अध्यक्षतामें अच्छा प्रबंध है विद्यार्थिओका ईम्तिहानभी लिया गया और अध्यापकको क्रमवार पढ़नेकी सुचना दिगई. फिर वहांके जज्ज साहखके प्रेसीडेन्टपनेमें ता० ११-४-०७ की रातको सभा कीगई ऊस्मे धार्मिक तथा व्यवहारिक सुधारेके लिये और कान्फरन्सका ऊद्देश भाषण द्वारा प्रगट किया. और वहांके आगेवानीयोंको कितनेक ठहराव करनेके लिये सुचना दी गई यह बात बिचाराधीन रक्खी गई.
ईसही तरह जहां २ शेठ घीयाजीका प्रवास होता है वहां कान्फरन्सके ठहरावोको प्रचालित करनेकी प्रेरणा किया करते हैं ईतनाही नहि किन्तु मालवा प्रांतमे प्रान्तिक कान्फरन्स भरकर कीतनीक सुधारणा करनेकी ऊत्साहहै और कीतनेक जगहके आगेवानियोंसे पत्रा द्वारा ईस विषयकी सलाहभी मंगवा रहेहैं.
में अपनी तरफसे मालवे प्रांतके शाहधर्मी भाईयोंसे प्रार्थना करताहूं के जो आप ईस कार्यमे उन्नति होना समझते है तो अपनी संमतीका पत्र शेठ लक्षमीचन्दजी साहब घीया प्रतापगढ मालवाको लिख कर ऊतेजन करें ताके बहूत साहबोकी रायसे कार्य शिघ्र हो सके. । और यहभी हर्षका विषय है के आपकी ओनररी सुपरवाईझरीमें मालवा जैन डिरेकटरी कार्यभी बहुत कोशिशके साथ रूपेमे बारह आनी काम तैयार हो गया और शेष हो रहा है. तारीख १ ली मे सने १९०७.
श्रावक, रातडीया झमकलाल, प्रांतगढ़-मालवा.
શ્રી ધાર્મિક સંસ્થાઓના હિસાબ તપાસણું ખાતું. જીલ્લે કાઠીયાવાડ તાબાના ગામ ખસ મળે આવેલા શ્રી મુનિસુવ્રત
સ્વામીજી મહારાજના દહેરાસરજીને રીપોર્ટ સદરહુ ખાતાના શ્રી સંઘ તરફથી વહીવટ કર્તા સંઘવી હરીચંદ ભાણજી તથા ગાંધી રત
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