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प्रतापगढ़ मालवा निवासी श्रीयुक्त शेठ लक्षमीचन्दजी साहच धीया प्राविन्शियल सेक्रेटरी श्रीजैन श्वे० कान्फरन्सके प्रयास और प्रवास.
आज कल सारे भारत वर्षमें हमारे जैन बन्धु जाती सुधार और हानिकारक रीवाजोंको बंध करनेके लिये जो कोशिस कर रहेहैं उसमे मालवा प्रांत बहूतहि पिछे हैं परंतु हमारे परोपकारी शेठ लक्षमीचन्दजी साहब घीयाका जीसतरफ पधारना होताहै वहांके सर्व बन्धुओंका चीत ईस तरफ आकर्पित करतेहै. हालहीमें आपका मन्दसोर (दशरथपुर) मे कीसी कारणसे ठहरना हुवाथा वहांसे जो अभि अहमदावादमें श्रीजैन श्वे० कान्फरन्स पांचवा जलसा हुआ ऊसमे मालवे प्रांतके डेलिगेटों सहित पधारेथे और वहां जोजो काररवाई हुई वो ता० ३-४-०७ की रातको मन्दसोर जनकुपुरा स्थान राजविलासमे सा. रिषभदासजी नाहारके प्रमुखपणेमे एक बडी सभा कीगई ऊसमे शेठ घीयाजी साहबने अनुमान दो घंटेतक जो कान्फरन्सके जल्सेके समय बडे २ वक्ताओंके भाषणका सार और तीनो दीनकी काररवाई भाषण द्वारा प्रगटकी. और ऊक्त जल्सेके समय जोजो गायन गायेथे वोभी सभाके शुरूमे हारमोनीयमके साथ, गाये गयेथे ईस्को सुनकर श्रोताओंने आनन्दित होकर जाहिर कियाके घर बेठेही अहमदावाद कान्फरन्सका जलसा देखलिया ऊस दीन अनुमान ५०० ----६०० स्त्री पुरूष एकत्रित हुवेथे. . बाद कितनेक ठहराव करनेके लिये फिर सभा करना निश्चय किया और ऊक्त स्थानमे ता० ७-४-०७ की रातको सभा करनेके लिये विज्ञापन वीतर्ण किये गये फिर नियत समयपर सभासदोंके एकठे होनेपर सा. फुलचंदजी संघवीकी अध्यक्षतामे " जीव दया और कन्याविक्रय, आदी हानीकारक रीवाजोंके विषयमें, ऊक्त शेठजी साहबने भाषण दिया जीसमे कईएक श्लोक द्रष्टान्तादि युक्तियोंके सत्य अनुमान दो घंटे तक विवेचना की जीसको मुनकर सब श्रावक और सज्जन मंडळी हर्षित होकर सर्व संघने करतालध्वनी साथ का-फरन्सकी अनुमोदना प्रगटकी. बाद मुनीमजी श्रीजीवणलालजीनेभी ईस्का अनुमोदनाके साथ अच्छी तरह विवेचन कीया ईस परसे वहाके जैन वर्ग श्रावकोंने निम्न लिखित प्रबंध कियेः
२ चर्मके पुठे परोंकी टोपियां कचकडेके बने हुवे पदार्थोके ऊपयोग नहीं करना. .. २ दारूग्वाना नहीं छोडना... ३ बिस वर्षकी भीतर वाले युवाओंका नुक्ता न करना. आदि.
हार्थी दांतके चुडेके लियेभी चरचा फेलीथी कितनेक सज्जनोने तो प्रतिज्ञाभी करली. ईस ठराबके लेख पर वहाके श्रावकोंके हस्ताक्षर करानेके लिये निम्न लिखीत महाशय कोशिशकर रहे हैं.