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જોધપુર રાજ્ય તસે મળેલા પરવાના.
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मेरे प्यारे स्वामी भाईओ - - हम तमाम श्वेताम्बर जैन श्रीदर्बार मारवाड व उनके कार्य कर्ता मंत्री पंडित सुखदेव प्रसादजी साहब सीनीयर मेम्बर महकोखासके ते दिलसे ममनुन बलके मशकुर हैं. जिनकी मुनसफ मिजाजीने हमारे श्री जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्सके उत्तम प्रस्ताओंकी कदर करके हरवक्त नेक काममें मदद फरमाते हैं. एक उत्तम हिस्सा डायरेक्टरीका जिनकी ईमदादसे भली प्रकार ईखतताम हो चुका है. अब मंदिरोंके हिसाब की प्रताल और उनकी दुरस्ती सुधारे वधारेके काममे पुरे तोरसे मदद फर्माकर तमाम मारवाडके मंदिरोंकी आ सातना मिटानेके लिये अपनी सब मातहत हकुमत को ईस नेक काममे मदद देनेका हुकम जारी फर्मा है. यह उनका बडापन गोया हमको शरमींदा होना है क्योंकि यहकाम हमारे घरका है. जिसको हम सब जैन बान्धवोंके मिलकर संपके साथ करने का है. देखिये मारवाडके अंदर हमारे बहुतसे मंदिर हैं. चन्द उनमेंसे हमारे जमाने हालके जैन समुदायकी बे संभालसे वो खराब हालत में है. जिनका मरमत यानी जिर्णोद्वार कराना निहायत जरुरी है.
देखिये मित्रवर्गों हमारे बडेरे धर्मामें कैसे प्रवीण थे, जिन्होंने लाखोंही नही बलके करोड़ों रुपीया खर्च करके जैसे उत्तम जिनालय बनवाये. जै रानकपुर यदि ईस समय हमारी जैन सोसाईटी कुल मिलके हिम्मत बढावे तोभी ईस तरहका आलीशान ईमारतका बनना निहायत कठिन है.
खराब जमानेके आनेसे मंदिरका धन जो मंदिरको लगाना चाहीये, उसकी सूत्राधार मरजादा माफिक उपयोग न लेनेसे चद स्थानोंमे वह रुपीया खानगी बरताव खर्चमें भी देखने में आता है, यही कार्ण हमारी दुरदशाका समझमें आवे तो क्या आश्चर्य है. देखिये सज्जनो ध्यान खिंचीये कि हम उन्हीं बडेरों की सन्तान के जो हमारे लिये वरास्त छोड गये, हम उनको भलीभातीं न संभालेंगे तो क्या हमारी सपुत्ती जाहर हो सकेगी ?
प्रियवरो बहुतसी पुरानी प्रतीमाए भोंयरोंके अंदर अपुजही बीराजमान हैं. हमारे जैन समुदायोंका प्रथम कर्तव्य हैं कि जो हमारे पुराने पवित्र स्थान हैं उनको कायम रखना, क्योंकि यह हमारे बडेरोंकी धर्म लागणी और प्राचीनताका हमेशांके लीये एक शहादती सबुत है. हमारी लगातार बम्बाई, बरोडा, पाटन, अहमदाबादकी कोन्फरन्सोंमें ईस कामको एक मुख्य समझा है कि मंदिरोंके हिसाबकी हालत को देखना, उनके प्रबन्धका अच्छा रस्ता और वर्तमान दशाकी हालत जार पर विचारना कि फलां स्थान में कितना रुपीया जीर्णोद्धार में चाहिये, और जितना धन उन्ही स्थानोमेंसे निकाल उन्ही के सद उपयोग में लाया जा सके, ईन सब बातोंका विचारांस हो चुका है. मगर अफसोस के कितनेक जमाने माजीयाके हमारे भोले भाई जैसे हैं जो उमदा कार्मोकी मदद समझे बिन जैसे कामोंके अंदर बाधा डालते हैं, और मेरे पीयारे भा