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કેન્ફરન્સ હેરલ્ડ
ફેબ્રુઆરી
भविष्यतकालमें जैन जातिकी उन्नतिकी आशा होती है । हमारी न्यायशीला गवर्णमेंटकी छाया जो हमको अनेक लाभ प्राप्त हुये है, उनमेंसे एक यह है कि राजा तथा बादशाहोंकी अमलदारी में हम इस तरहसे सभा समितीयां कर धर्मकी उन्नतिमं चेष्टा नही कर सक्तेथे; परन्तु अब हम चाहे जिस तरहसे धर्म तथा जातिका उन्नति में कोशिस करें. कोई रोकनवाला नही है | ब्रिटिश गवर्णमेंटनं १८५७ सालमें इस बातकी मुनादी कर दी थी की ड प्रजाके धर्म तथा व्यवहारमें हाथ न डालेगी । आज तक भारत गवर्णमेंट उसके अनुसार कार्य कर रही है । इस लिये प्रजामात्र कृतज्ञ है एवं सबसे अधिक जैन जाति रहेगी। देखिये इसी में अनुग्रहसे हम अपनी इच्छा के अनुसार अभिलपित देस में मंदिर तथा धर्मशा लादि बनवाकर श्री भगवानकी प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा तथा दर्शनादिका आनन्द उठा सक्ते है । ऐसे गवर्णमेंटको कोटिशः धनवाद करना हमारा कर्त्तव्य है और हमें चाहिये कि परमात्मा से इस राज्यकी द्धि तथा चिरस्थायी होने की प्रार्थना करते रहे। और हमारे महामान्य सम्राट सप्तम एडवर्ड की विजय घोषणा, करके उनके महामान्य राजप्रतिनिधि लोई मिष्टो को धन्यवाद के पश्चात् जो सज्जन इस जातीय और धार्मिक कार्य के लिये तरह कीटिकते. उठाते हुये भी इसमें सब सकारसे तत्पर होके सदा इसके उन्नति के उपायोंमे लगे ह अहमदाबाद के श्रीसंघको और खास करके हमारे परम मित्र शेठ जयसिंगभाई हटीसिंघ, कि जिन लोगों के ऐसे उत्साह, परिश्रम और अर्थव्ययसे आज हमको यहां एकत्रित होनेका अवसर मिला है, उन सब को अन्तःकरणसे धन्यवाद करताहुं ओर विशेष धन्यवाद के पात्र कनफरेंस के जनरल सेक्रेटरी श्रीमान् गुलावचंदजी ढड्ढा एम. ए. है, जिन्होंने तन मन तथा धनसे अपने जाति तथा धर्मकी उन्नतिमें चित लगाया है। जो कुछ जाति धर्मकी सेवामें इनहोनेकी है, वह कहना बाहुल्य है; और में उनका कई रुपये कृतज्ञ होकर आभार मानता हूं।
तथा
अभि तक तो में केवल आनन्द और उन्नतिकी चर्चा ही करता आया है; परन्तु अब मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पडता है कि करीब छ महिने हुये, व्यापारियो के राजा, उदारता की तसवीर, जैनीयों के शिरताज शेठ प्रेमचन्द रायचन्दजीका स्वर्गबास हुया । आपने ज्ञानकी उन्नतिमें तन, मन, धन से जो उत्साह दिखाया था, उसके लिये न केवल जैन, वलकी कुल भारतवासी आपके सदा कृतज्ञ रहेंगे । अपका अनुकरण करना हम सबको उचित है ।
अब में भगवान् से यह प्रार्थना करताहुं कि जैसे आज तक उत्साह तथा उद्यम के साथ जातीय उन्नतिका कार्य करते आये है, वैसेही आप लोगोंकी तथा ऐसे सज्जन जो यहां उपस्थित नही हो शके हैं उनकी धार्मिक तथा जातीय उन्नति के कार्यों में सदा
(घ)