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भूमिका को नाग्राम की जागीर दी थी। (२:१०) अपने पुत्र को क्रमराज्य एवं इक्षिका का स्वामी बनाया था। (२:११) उसके प्रिय पात्र रावत्र एवं लोलक आदि अतुल प्रसाद अभिषेक के अवसर पर प्राप्त किये थे। (२:१२) सुल्तान के अन्य सेवक भी अपने पूर्व सेवा पुरस्कार स्वरूप में उच्च एवं निम्न ग्राम प्राप्त किये। (२:१३) युवराज की भी घोषणा की जाती थी । हसन को सुल्तान ने युवराज बनाया था। अन्य दरबारियो तथा अधिकारियों को उनके पद के अनुसार, उपहार, खिताब, खिलअत देकर, सम्मान किया जाता था।
सीमान्त के राजगण तथा काश्मीर मण्डल के सामन्त आमन्त्रित किये जाते थे। आज भी प्रथा है। मित्र देशो के राजा, राष्ट्रपति अथवा प्रतिनिधि अभिषेक मे भाग लेते है ।
आगत राजाओं का उनके पदानुरूप, अलकार, उपहार आदि देकर, सम्मान किया जाता था। हैदर शाह के अभिषेक के समय राजपुरी के राजा तथा सिन्धु पति उपस्थित थे । मन्त्री, सेनापति, पुरगामी, सुवर्णकटारी तथा सुन्दर कमरबन्दों से सुशोभित दरबार में उपस्थित रहते थे। सेवकों को वस्त्र आभूषण आदि दिया जाता था। (२:१४-१८)
हसन शाह का अभिषेक भी प्रायः इसी प्रकार किया गया था। निर्मल वस्त्र धारण कर राजा सिंहासन पर बैठा था । मल्लेक तथा आयुक्त अहमद ने राजा का तिलक किया था। सुल्तान पर स्वर्ण कुसुमों की वृष्टि की गयी थी। अभिषेक के समय हिन्दू राजा के समान, मन्त्र के साथ जल एवं पुष्प से अभिषेक किया जाता था।
हसन के समय रजत आसन रखा गया था। स्वर्ण मुसलिम विधि, संहितानुसार हराम माना जाता है । अतः सैयिदों के प्रभाव के कारण स्वर्ण के स्थान पर रजत सिंहासन रखा गया। आसन किंवा सिंहासन पर छत्र लगा था। अभिषेक काल मे होम किया गया था। बाजा बजते थे। स्थान लाल एवं श्वेत ध्वज मालाओं आदि से खूब सजाया जाता था। पूर्व काल में मालूम होता है, वस्त्र दिया जाता था। परन्तु श्रीवर ने हसन के अभिषेक काल मे कौशेय अर्थात् रेशमी वस्त्र भृत्यों एवं पदाधिकारियो को देने का उल्लेख किया है । (३:८-१३)
मुहम्मद खां सात वर्ष का बालक था। उसका अभिषेक नाम मुहम्मद शाह रखकर सिंहासन पर बैठाया गया । वह रजत के सिहासन पर बैठा । छत्र लगाया गया । शुभ्र अगुक पर, छपे कुमकुम से लोहित कान्ति वाले परिधान मे सैयिद भावी द्रोह के कारण निकले हुए रक्त से सिक्त सदृश शोभित हो रहे थे । (४:७) सुल्तान का कनिष्ठ भ्राता होस्सन वाल नृपति के समीप अभिषेक के समय था । बाजा बज रहा था। राजप्रासाद के प्रांगण में अभिषेक उत्सव आयोजित था। उस उत्सव में सैयिदों ने परिधान प्रसाधनों द्वारा समस्त नप अनुचरों को सन्तुष्ट किया । (४:१०-१२)
अपने पिता हैदर शाह के समान हसन शाह ने भी आयुक्त मल्लेक अहमद को संग्राम तथा नाग्राम (३:२४), आयुक्त नौरुज को इक्षिका (३:२५), जागीर तथा सेवको को कौशेय वस्त्र दिया । (३:१६, १७) जोन राजानक आदि भी पूर्व सेवानुसार छोटे-बड़े ग्राम जागीर मे पाये। (३:३०) सुल्तान ने अपने बालसखा ताज-भट्ट को अपना दूत इसी समय नियुक्त किया। (३:२८) आयुक्त अहमद सचिव नियुक्त किया गया। (३:२३) इस समय बन्दियों को कारागार से मुक्त कर, उन्हे भुट्ट देश मे निष्कासित कर दिया गया।
युवराज जैनुल आबदीन ने ज्येष्ठ पुत्र आदम खां को युवराज बनाया। वह युवराज पद पर पांच या छः वर्षों तक