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२:३८-४१]
श्रीवरकृता
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__ मेरभोखारनामापि बुद्धिमान् प्रथितो भुवि ।
नितरामपकोपाग्ने राज्ञः साचिव्यमादधे ॥ ३८ ॥ ___३८. पृथ्वी पर प्रसिद्ध बुद्धिमान मेरभोखार' नितान्त क्रोधाग्नि-रहित, राजा का सचिव हुआ।
वात्सल्याद् विहितो राजा स चुटगणनापतिः ।
समस्तकार्यस्थानेभ्यो भुङ्क्ते राजोपजीविकाम् ॥ ३९ ॥ ३९. राजा के द्वारा वात्सल्य के कारण गणनापति' बनाया गया। चुट' समस्त कार्य स्थानों से राजा की जीविका का उपभोग करता था।
यो वर्षणैकनिरतः शिखिहर्षहेतुः
___ संदर्शितातुलफलः कृतकर्षणेषु । जातोऽपि यः प्रतिदिनं हृतसर्वतापः
__सोऽयं धनस्तुदति दुःसहवज्रपातैः ॥ ४० ॥ ४०. केवल वर्षण के लिये रत मयूरों की प्रसन्नता हेतु, कृषकों के लिये अतुल फलप्रद, जो मेघ उत्पन्न होकर, प्रतिदिन सब लोगों का ताप हरण करता है, वही दु.सह वज्रपात करके, पीड़ित भी करता है।
दुर्मन्त्रिप्रेरितो राजा व्यधान्मदविचेतनः ।
प्रजाभाग्यविपर्यासाद् विवेकविगुणाः क्रियाः॥४१॥ ४१. दुष्ट मन्त्रियों द्वारा प्रेरित तथा मद से चेतना-रहित, राजा ने प्रजाओं के भाग्य विपर्यास' के कारण अविवेकपूर्ण कार्यों को किया ।
पाद-टिप्पणी:
वाला अधिकारी था। गणनापत्रिका को काश्मीरी ३८. ( १ ) मीरे भोखार : मीर इफ्तेखार मे ‘गनतवतर' कहते है । हिन्दी मे बही-खाता कहा या इफ्तिकार का संस्कृत रूप है परन्तु व्याकरण मे जाता है । अंग्रेजी में एकाउण्ट बुक कहते है । क्षेमेन्द्र संस्कृत के स्थान पर फारसी का अनुकरण किया ने गणना स्थान मण्डप का उल्लेख किया है। गणना गया है। एक मत है कि नाम मीरखार है। हमारे स्थान आधुनिक ट्रेजरी आफिसों के समान थे। उनका मत से मीर इफ्तेखार नाम ठीक है। पुनः उल्लेख स्थान तथा कार्यालय अलग होता था, उसे गणना २:२१७ में मिलता है। श्रीदत्त ने 'मेर भोखार' मण्डप कहते थे। द्रष्टव्य टिप्पणी : जोन० : श्लोक नाम दिया है।
१२८ । पाद-टिप्पणी:
(२) चुट : इसका पुनः उल्लेख नहीं मिलता।
पाद-टिप्पणी : 'सचुट' पाठ-बम्बई।
४१. ( १ ) भाग्य विपर्यास : द्रष्टव्य टिप्पणी ३९. (१) गणनापति : हिसाब-किताब रखने- १: ३ : १०५; १:७ : २१५ तथा कल्हण :