Book Title: Jain Raj Tarangini Part 1
Author(s): Shreevar, Raghunathsinh
Publisher: Chaukhamba Amarbharti Prakashan

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Page 410
________________ २९६ जेनराजतरंगिणी तदीयकटको दीपस्तत्तुरङ्गतरङ्गितः 1 तं तमेव नतं चक्रे येन येन पथावहत् ।। १५६ ।। १५६. अश्वों से तरंगित उसका कटक रूप उदीप (बाढ़), जिस-जिस पथ से गया, बिनत कर दिया । निस्तृणं भूतलं तत्तु निष्पानीया जलाशयाः । निरिन्धनान्यरण्यानि तत्सैन्ये चलितेऽभवन् ।। १५७ । १५७. उसकी सेना के चलने से वह भूतल तृणरहित, जलाशय जलरहित तथा अरण्य ईंधनरहित हो गये । पाद-टिप्पणी : सोऽहं संमान्य राज्ञास्मै दत्तस्तत्समयेऽन्वहम् | कुर्वन् बृहत्कथाख्यानमभूवं धृतपुस्तक: ।। १५८ ॥ १५८. राजा ने आदर करके, मुझको (श्रोवर को उस ( राजकुमार हसन) को प्रदान किया और मै प्रतिदिन पुस्तक लेकर, बृहत्कथा' का आख्यान सुनाता था । करदीकृत भूपाल: स षण्मासकृत स्थितिः । अभवच्चैत्रमासान्ते कश्मीरागमनोत्सुकः ।। १५९ ।। १ : ५ : ८६ । [२ : १५६ - १६० १५९. वह राजाओं को करप्रद बनाकर तथा ६ मास तक स्थित रहकर, चैत्र मास के अन्त में काश्मीर गमन के लिये, उत्सुक हो गया । १६०. तब तक बह्राम' खांन राजा को आक्रान्त कर, निरंकुश भ्रमण करता रहा । तावद् बभ्राम बहामखानो आक्रान्त मन्त्रिसामन्तो ज्ञात्वा १५८. (१) बृहद्कथा : द्रष्टव्य टिप्पणी : • उसे उसे पाद-टिप्पणी : १६० . ( १ ) बहराम खां पीर हसन लिखता है - 'उमरावों ने खुफिया तौर पर बहराम खाँ के साथ मिलकर चाहा कि उसे बादशाह बना दें ( पीर हसन पृष्ठ १८८ ) । म्युनिख पाण्डुलिपि ( ७८ बी० ) में उल्लेख मिलता है कि बहराम खाँ राजा तथा मन्त्रियों का विश्वास प्राप्त कर अपनी शक्ति बढ़ाने दाम निरर्गलः । व्यसनिनं नृपम् ।। १६० ।। व्यसनी जानकर, मन्त्रियों एवं सामन्तों को लगा । हैदरशाह के गिरते स्वास्थ को देखकर, वह राज्य के सामन्तों से मिलकर, राज्यप्राप्ति का षड्यन्त्र करने लगा । यह सुनकर हसन जल्दी-जल्दी श्रीनगर ससैन्य पहुँच गया ।' तवक्काते अकबरी में उल्लेख है - 'उन्हीं दिनों में सर्वदा मदिरापान के कारण सुलतान बड़े कठिन रोग में ग्रस्त हो गया । अमीरों ने गुप्त रूप से षड्यन्त्र किया और बहराम खाँ से मिलकर उसे सिंहासनारूढ़ करना चाहा ( ४४७ - ६७४) ।' श्रीवर ने किसी प्रकार के षड्यन्त्र का उल्लेख नहीं किया है । फिरिश्ता ने भी लिखा है - सुल्तान के लज्जा

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