________________
२७७
२ : ९१-९३]
श्रोवरकृती ते वैश्रवणभट्टाद्याः कृत्वापि स्वशवाजिरम् ।
अन्ते यत्र मृता ग्रामे भुवि तत्रैव शायिताः ॥ ९१ ॥ ___९१. वैश्रवण, भट्टादि अपने लिये शवाजिर निर्माण करके, अन्त में, ग्राम में, जहाँ मरे, वही भूमि में सुला दिये गये।
एक एको भुवो हस्तशतमात्रावृतौ रतः ।
पराप्रवेशदो यत्नात् प्राकृतो लज्जते न किम् ॥ ९२ ॥ ९२. प्रत्येक सामान्य जन सैकड़ों हाथ भूमि घेरने ( आवृत )' में रत रहता है, और दूसरे का प्रवेश यत्नपूर्वक नहीं होने देता, क्या उसे लज्जा नहीं आती?
श्रुतं यच्छास्त्रतः सूक्ष्मशिलाश्चेच्छवभूतले ।
स्थाप्यन्ते तत् सुखं तस्मिन् परलोकगते भवेत् ।। ९३ ॥ ९३. ( मुसलिम ) शास्त्रों में सुना गया है कि यदि शव भूतल पर छोटी शिलायें स्थापित कर दी जाय, तो उसके परलोक जाने पर सुख होता है।
पाद-टिप्पणी:
हाता बनवा कर, भूमि का उपयोग व्यर्थ कर देते है। ९१. (१) वैश्रवण, भद्रादि : मसलिम हो उसमे दूसरे मुर्दो का गाड़ना रोक देते है। काशी में जाने पर भी पूर्व संस्कृत हिन्दू नाम, उन्होंने परि- बादशाह का बगीचा नगर के प्रायः मध्य में फातवर्तित नही किया था। इण्डोनेशिया तथा मलेशिया मान मुहल्ला मे है वह बावन बीघा से भी बड़ा मे हिन्दुओं से मुसलमान हए, शताब्दियाँ बीत गयी, है। मेरे बाल्यावस्था में मौलसरी के वृक्षों से भरा परन्तु वहाँ लोग पुरातन संस्कृत नाम रखते है। था। वही बाग अब सरकार ने अवासीय गहों के अरबी और ईरानी मसलिम नाम के स्थान पर प्लाट में बदल दिया है। वहाँ आधुनिक कालोनी स्थानीय नाम रखते है, जैसे सुकार्गो आदि । केवल बन गयी है। शताब्दियों तक वह बगीचा जंगली भारत ही अपवाद है, जहाँ हिन्दू धर्म परिवर्तन के पादपों से भरा अनुपयोगी पड़ा था। साथ, नाम भी बदल कर शुद्ध अरबी या फारसी पाद-टिप्पणी : नाम रखा जाता है। द्र० : ३ : ५०१, ५११ ।
९३. (१) शिला : ऐसी कोई धार्मिक मान्यता पाद-टिप्पणी :
नही है । कब्र पर शिलाखण्ड कब्र की पहचान के ९२. ( १ ) आवृत : भारत में प्रथा थी और लिए लगा दिया जाता है। शिला लगाना भी है कि लोग अपने कुटुम्ब के लिए कब्रिस्तान बनवाते धार्मिक कृत्य नही है। कब्र के उत्तर ओर अर्थात् थे। यह चहारदिवारी से वेष्ठित घेरा लम्बा-चौड़ा जहाँ शव का शिर होता है, वहाँ एक ऊँचा स्तम्भ होता है। कभी-कभी एक बगीचा में एक ही कब्र गाड देते है। शव की पहचान के लिए ईसाई तथा बनाकर उसके चारों ओर भूमि छोड़ देते थे । कुटुम्बी यहूदी भी शिला गाड़ते है। ईसाई उसे क्रास का जन अपने हडावर मे गाड़े जाते है । इस प्रकार रूप देते है। उस पर दिवंगत व्यक्ति का नाम, के प्राकार वेष्ठित चहारदिवारी बनाने में लोग अपनी जन्म, मृत्युकाल तथा बाइबिल का एकाध पद उद्धृत प्रतिष्ठा तथा अर्थक्षमता के अनुसार बड़ा से बड़ा कर खुदवा दिया जाता है। उसे अंग्रेजी मे 'ग्रेवस्टोन'