Book Title: Jain Raj Tarangini Part 1
Author(s): Shreevar, Raghunathsinh
Publisher: Chaukhamba Amarbharti Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 396
________________ २:१०२] श्रीवरकृता २८१ ४१) । क्षत्री हत्या के कारण जमदग्नि ने प्राय- वणित क्षत्रिय तथा पुराण-वर्णित वंशों में अन्तर है। श्चित हेतु बारह वर्षों तक तपस्या करने की आज्ञा पुराणों में सूर्य एव सोम दो मुख्य वश माने गये है। दिया ( ब्रह्मा० : ३ : ४४)। परशुराम तपस्या कर लौटे तो उन्हे मालूम हुआ कि जब उनके पिता तत्पश्चात् अग्नि आदि वर्णों की उत्पत्ति हुई । क्षत्रिय समाधि में थे, उसी समय उनका वध कर दिया। वर्ण के लोग प्रायः ठाकुर कहे जाते है। जमदग्नि आश्रम में पहुँचते ही, रेणुका ने छाती काश्मीर के प्रायः सभी क्षत्रिय मुसलमान हो इक्कीस बार पीट कर, पति की हत्या का वृतान्त गये है। वे ठक्कुर, पदर, मिया राजपूत आदि कहे सुनाया। परशुराम ने इक्कीस बार क्षत्रिय विहीन भूमि करने की प्रतिज्ञा किया। भगवान् दत्तात्रेय के जाते है । काश्मीर मे हिन्दू केवल ब्राह्मण रह गये है। आदेशानुसार पिता का अन्तिम संस्कार किया। डोगरा राजकाल मे कुछ डोगरा क्षत्रिय काश्मीर में रेणुका देवी सती हो गयी। शोक विह्वल परशुराम आ गये थे। इस समय जो भी कुछ क्षत्रिय काश्मीर आ गय थ । इस समय जा भा कुछ ने माता-पिता को पुकारा। माता-पिता प्रत्यक्ष में है, वे बाह्यदेशीय है। मियां राजपूत मुख्यतया उपस्थित हो गये। उस स्थान का नाम 'मातृतीर्थ' देवसर तहसील मे पाये जाते है । पड़ा। यह महाराष्ट्र का मशहूर स्थान है। गाथा मुझे यह देखकर, आश्चर्य हुआ कि होशियारपुर है कि परशुराम ने चौदह कोटि क्षत्रियों का संहार किया था । उसने मूर्धाभिषिक्त, बारह सहस्त्र राजाओं ___ पंजाब मे भी कुछ क्षत्री लोग अपने नाम के साथ का मस्तक छिन्न किया था। परशुराम की हत्या से । मियां लिखते हैं। होशियारपुर में एक मुकदमे के केवल आठ क्षत्रिय राजा बच सके थे। वे है. हैहय सम्बन्ध में गया था। मुझे मालूम हुआ कि वहाँ के राजवीति होत्र, पौरवराज, रिक्षवान, अयोध्याराज बार एशोशियेशन के सभापति जो प्रतिष्ठित वकील सर्वकर्मन, मगधराज, बृहद्रथ, अंगराज चित्ररथ, मियां ठाकुर मेहरचन्द एडवोकेट थे। मैंने उन्हें शिवीराज गोपालि, प्रतर्दन पुत्र वत्स, एवं मरुत। अपना वकील बनाया। उनके यहाँ प्रायः सायंकाल परशुराम जयन्ती वैशाख शुध तृतीया के दिन रात्रि प्रतिष्ठित लोगों का जमघट होता था । हिमाचल के प्रथम प्रहर में होता है। समारोह अधिकतया प्रदेश तथा तराई इलाके के सम्पन्न परिवार के लोग दक्षिण में होता है (द्र० : ४ : २६)। एकत्रित होते थे। वही मुझे हिमालय अंचल के क्षत्रियों का ज्ञान हुआ। मियां मेहरचन्द जी स्वयं (२) क्षत्रिय : मनु ने लिखा है-ब्राह्मणः पहाड़ी क्षेत्र के निवासी थे। प्रतिष्ठित वंश के थे । क्षत्रियों वैश्यस्त्रयो वर्णः द्विजातय !' (१० : ४) उनके पिता चाहते थे कि वे खेती करते परन्तु मनु ने ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र चार वर्ण माना उन्होंने वकालत पेशा स्वीकार किया। वही पर मुझे है। क्षत्रिय वर्ग का मुख्य कार्य शासन तथा सैनिक मालूम हुआ कि पर्वतीय अंचल के प्रतिष्ठित क्षत्री कर्म द्वारा देश की रक्षा तथा उसके लिये उत्सर्ग कुल के लोग अपने नाम के साथ मियां लिखते थे। करना था। वेदाध्ययन प्रजापालन, दान. यज्ञादि मिया शब्द गौरव का द्योतक था। होशियारपुर की कचहरी मे भी वकीलों को मियां जी शब्द से सम्बोधन करते हुए, विषय-वासना से दूर रहना, उनका कर्तव्य ___ करते थे। क्षत्रियों ने मियां शब्द कुलीनता तथा माना गया है। वशिष्ठ ने क्षत्रियों के लिये अध्ययन, उच्च कल के प्रतीक स्वरूप अपना लिया था, जैसे शस्त्राभ्यास, प्रजापालन कर्तव्य बताया है । प्रजापति बंगाल मे बंगालियों तथा विहार मे भूमिहारों का एक के बाह से क्षत्रियों की उत्पत्ति हुई है। वेदों मे वर्ग अपने नाम के साथ 'खां' शब्द का प्रयोग करता है। जै. रा. ३६

Loading...

Page Navigation
1 ... 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418