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जैनराजतरंगिणी
[२:१०३-१०६ यासीत् पितुः सभा योग्या तत्तत्कार्यविशारदा ।
स्मृतपूर्वापकारेण तेन सर्वावसादिता ।। १०३ ।। १०३. तत् तत् कार्यों में विशारद एवं योग्य पिता की जो सभा' थी, राजा ने अपकार का स्मरण कर, सब समाप्त कर दिया।
अन्तरङ्गान् हमेभादीन् पञ्चषानधिकादरैः ।
अरक्षत् प्राक्तनं स्मृत्वा प्रेम सेवां च पैतृकीम् ॥ १०४ ॥ १०४. पुरातन प्रेम, पिता की सेवा का स्मरण कर, हभेभ' ( हबीब ) आदि पाँच-छ: अन्तरंग लोगों की अति आदरपूर्वक रक्षा की।
आदम खां का प्रत्यावर्तन .
आदमखानः पर्णोत्से श्रुत्वा कोशेशनाशनम् ।
स्वनामान्वर्थतां बिभ्रद्ययौ भीतो यथागतम् ॥ १०५ ।। १०५. आदम खान ने पोत्स' में कोशेश ( हस्सन ) का नाश सुनकर, अपने नाम को सार्थक करते हुए, जैसे आया था वैसे चला गया ।
बहामखानो वित्राणस्तबंधाच्छङ्कितो भृशम् ।
गृहमेत्य नृपेणाश्वासितः कार्यावलोकिना ॥ १०६ ।। १०६. अरक्षित बह्राम खान, ( बहराम खां ) उस ( हस्सन ) के वध से अति शंकित हो गया। घर आने पर, कार्यावलोकी राजा ने ( उसे ) आश्वासित किया।
पाद-टिप्पणी:
था। उसने जब हसन खाँ की कतल का वाकया १०३. ( १ ) सभा : दरबार ।
सुना तो जंग का इरादा फसख (?) करके मुलक
देवराज जम्मू की रफाकत मे मुगलों की जंग के लिये पाद-टिप्पणी:
गया जो उन दिनों उस इलाका मे आये हुये थे १०५. (१) पर्णोत्स : पूंछ ।
(पृष्ठ १८८)। (२) नाम : श्रीदत्त ने अर्थ लगाया है 'आदमी तवक्काते अकबरी मे उल्लेख है-'जब उसे खून' (पृ० . १९४ )।
अमीरों के हत्या के समाचार ज्ञात हुए तो वह लौट(३) पीर हसन लिखता है-दूसरी तरफ
कर जम्मू चला गया (४४७ = ६७४)।' आदम खाँ एक बड़ा भारी लश्कर जमाकर के पाद-टिप्पणी : मुल्क पर कब्जा करने की गरज से जम्मू पहुँच चुका १०६. 'वित्राण' पाठ-बम्बई ।