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जैन राजतरंगिणी
तथैव नोनदेवादीन् पञ्चाषानकरोत्
५१. उसी प्रकार शिखजादा', नोनदेव आदि पाँच-छः जनों का जीभ, नाक, एवं एक हाथ कटवा दिया ।
शिखजादादिसंयुतान् । कृत्तजिह्वानासैकहस्तकान् ॥ ५१ ॥
[२ : ५१-५३
विरुद्धावयवच्छेदलारोपणकर्मणा
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स पूर्णनापितः पापी बभूव नरशौनिकः ॥ ५२ ॥
५२. विरुद्ध अवयव-छेदन एवं शूल' रोपण कर्म से वह पापी पूर्ण नापित नर शवनिक ( कसाई ) हो गया था ।
आचार्यपुत्रो जय्याख्यस्तथा भीमाभिधो द्विजः ।
छिन्नाङ्गौ स्वं यथाशक्तौ वितस्तायां समझताम् ॥ ५३ ॥
५३. आचार्य-पुत्र जज्ज' ( जय ) तथा भीम' नामक द्विज, जिनके अंग छिन्न कर दिये गये थे, संघर्ष में असमर्थ होने पर, अपने को वितस्ता में डाल दिये ।
पाद-टिप्पणी :
५१. (१) शिख: द्रष्टव्य टिप्पणी : १ : ३ : ९८, १०२, १०३ ।
( २ ) नोन: यह नाम ब्राह्मण तथा व्यापारी दोनों का मिलता है ( रा० : ६ : ११, ८ : १३२८) । श्रीवर ने इसका उल्लेख केवल इसी स्थान पर किया है। इस नाम का उल्लेख जोनराज ने भी किया है ( जोन० : ८०२, ८०३, ८०५ ) । पाद-टिप्पणी :
५२. (१) शूल : द्रष्टव्य टिप्पणी : २ : ४८ । (२) पूर्ण पूर्ण नाई था । श्रीदत्त ने उसका नाम रिक्तेतर ( पृष्ठ १८६ ) दिया है। नोट मे लिखा है कि उसे बाद मे पूर्ण कहा गया है । म्युनिख पाण्डुलिपि में उसे पूनी तथा निजामुद्दीन एवं फिरिश्ता ने उसका नाम लूली लिखा है । अरबी लिपि में यदि पूनी लिखा जाय तो वह भ्रम से लूली पढ़ लिया जा सकता है। उसने भयंकर अत्याचार हैदरशाह पर हाबी होकर, कराया था। उसे पढ़कर
रोमांच हो जाता है ( २ : ३४, ४६, १२३; ३ : १४८ ) ।
सुल्तान हसनशाह ( सन् १४७२ - १४८४ ई० ) के समय मल्लेकजाद के साथ राज-विरोधी षड्यन्त्र के कारण बन्दी बनाया गया। उसका सर्वस्व हरण कर लिया गया । कारागार में यातना सहता, बहुत दिनों तक बन्दी था । उसकी हत्या कर दी गयी ( जैन० : २ : १२२; ३ : १४८ ) ।
कैम्ब्रिज हिस्ट्री आफ इण्डिया में नाम 'लूली' दिया गया है ( ३ : २८४ ) । पाद-टिप्पणी :
५३. ( १ ) छिन्नांग : हाथ, पैर आदि काट कर उनका अंग-भंग कर दिया था ।
( २ ) जज्ज : यह हिन्दू नाम है। एक जज्ज जयापीड का साला था । जज्ज काश्मीर का राजा हुआ था ( क० : ४ : ४६ ) । उक्त जज्ज ब्राह्मण था । आचार्य ब्राह्मण ही होते थे ।
३) भोम : ब्राह्मणों पर अत्याचार आरम्भ हुआ था । उसके दोनों ही द्विज शिकार बन गये थे ।