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भूमिका
१०३ ने उस सुखद स्थिति का लोप कर दिया। राजा हसनकालीन गायक वृन्द अनायास शोक से मूक हो गये । सैयिदों द्वारा पक्षियों का नाश होने लगा। सैयिद परस्पर मन्त्रणा करते थे। उनकी नीति के कारण मद्र तथा काश्मीर शंकित हो गये।
भद्रों का नेता परशुराम था। उसने विद्रोह का निश्चय किया। एक समय हसन से उसकी पुत्री मेरा ने कहा-'हे स्वामी, रानी का कोई कार्य करना है। शीघ्र आइये ।' रविवार के दिन नृपालय नहीं जाना चाहिये। उसने स्वप्न मे देखा था। तथापि स्वप्न की उपेक्षा कर, वह नृपालय गया। वही पर मैयद हसन भी आगया । जोन राजानक आदि ने मद्रों को उभाड़ दिया । सैयिद वधने पर वे तत्पर हो गये।
___ अमृत वाटी में सैयिदो को एकत्रित जानकर, परशुराम मद्रो के साथ पहुंचा । सैयिद के भृत्य-'मन्त्रणा हो रही है' कहकर, बाहर ही द्वारपाल ताजक द्वारा रोक दिये गये। ताजक ने सैयिदों से कहा । 'आपके भृत्य भोजन सामग्री लूट रहे है ।' सैयिदों ने शास्त्रधारी भृत्यो को रोकने के लिये भेजा। इसी समय जोन राजानक वाटिका मे दूसरे मार्गसे प्रवेश कर गया। ताज दौवारिक अश्वारूढ़ होकर, दूसरी तरफ घूमने लगा।
मद्रो को देखकर, सैयिद शकित हए । मद्रों को देखकर सिंह भट्ट ईर्ष्या पूर्वक कहा-'यहाँ किस लिये आये हो ?' उन्होंने उत्तर दिया-'प्रति मुक्त पत्र नहीं मिला है।' उत्तर मिला-'प्रतिमुक्त पत्र आज मिल जायेगा।' पाथेय की बात उठाकर, एकान्त देखकर, परशुराम ने सिंह भट्ट का वध कर दिया। सैयिद भयभीत हो गये । चतुष्मण्डपिका मे सिंह भट्ट के गिरते ही, सैयिद उठ खडे हुए। परशुराम ने वही उनका वध कर दिया। तुन्दिल सैयिद हसन द्वार पर ही सैकड़ो प्रहारों द्वारा मार गया। मियाँ हस्सन दिवाल लाँघकर, भागना चाहता था। उसका दोनों पैर काटकर मार डाला गया। तीस की संख्या मे सैयिद तथा उनके साथी वही मारे गये । गोहत्या जिस प्रकार घर में करने से सैयिदों को पाप का भय नही हुआ, उसी प्रकार सैयिदो का वध करने मे परशुराम एवं उसके मद्र साथियों की नही हुआ। __मृगया के पश्चात् जिस प्रकार कुरंग आदि का सैयिद अंगच्छेद कर देते थे। उसी प्रकार भद्रों ने सैयिदों का अंगच्छेद कर दिया। उनके शरीर पर पड़ा बहुमूल्य वस्त्र लुण्ठकों ने ले लिया। वे अनाथ सदृश नंगे भूमिपर पड़े रहे । सैयिदों के अनुचर एवं साथी भाग गये ।
मियां मुहम्मद राजगृह में आकर युद्ध छेड़ दिया। राजद्वार जला दिया गया। राजप्रासाद लुटा जाने लगा । विद्रोही परशुराम आदि ने आग लगी देखा। वाटिका से निकलकर, राजधानी प्रागण में आ गये । मद्र लोग राजकीय अश्वों को ले लिये। बाहर निकल गये। मद्र सुरक्षा की दृष्टि से अन्य काश्मीरी विद्रोहियों के साथ वितस्ता पार चले गये।
दूसरी तरफ मियाँ मुहम्मद ने द्वारपाल ताज एवं पाज का वध कर दिया। वे दोनो भाई थे। बहराम के पुत्र की हत्या कर दी गई। उसके शव को प्राप्तकर, उसकी माता ने तीन दिन तक, शव को रखकर, दफन कर दिया। वह जीवन पर्यन्त पुत्र के कब्र के पास रहकर, जीवन व्यतीत की। पाजभट्ट का भी वध कर दिया गया। विद्रोहियो को नदी पार गया सुनकर, अली खान आदि विद्रोहियों का पीछा किये । जल्लाल ठाकुर ने रक्षा की दृष्टि से नौका सेतु काट दिया। काश्मीरी लोग मद्रो से सुलह कर लिये । सैयिदों ने विशंप्रस्थ मे शिविर लगाया। सैयिदों ने प्रचुर धन देकर, कारीगर एवं ग्रामीणों को शस्त्र धारण करा दिया।
काश्मीरी तथा मद्र जो पार गये थे, जाल द्रागड़ मे शिविर लगाये। नगर में भद्रों के साहस एवं पराक्रम का वृत्तान्त सुनकर, सब राष्ट्रों से शस्त्रधारी आने लगे। काश्मीरियों के पास कोश नही था।