Book Title: Jain Raj Tarangini Part 1
Author(s): Shreevar, Raghunathsinh
Publisher: Chaukhamba Amarbharti Prakashan

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Page 320
________________ २०४ जैन राजतरंगिणी युज्झितं क्षीणदर्श मन्दमस्नेहभाजनम् | सुतं दीपमिवैक्ष्याभूद् भूपो मोहतमोहतः ।। ७५ ।। उपदेश गिरः प्रियाः गत भाग्येषु विपदभ्युदये ७५ दीप सदृश, दीप्त रहित, क्षीण दशा (बत्ती) वाले मन्द एवं स्नेह (तैल) रहित पुत्र को देखकर, राजा मोहरूप तम ग्रस्त हो गया । श्रुतौ भवन्ति स्मृता [ १ : ७ : ७५–७८ जन्तुषु । पुनः मयाश्रावि न 'कमित्यरुन्तुदाः ।। ७६ ॥ ७६. गतभाग्य प्राणियों को प्रिय उपदेश सुनने में कष्टप्रद लगती है और विपत्ति के उदयकाल में पुनः स्मरण करने पर, 'मैंने क्यों नहीं सुना ?' इस प्रकार दुःखी होते हैं । पाद-टिप्पणी : ७७ ( १ ) पान : फिरिश्ता लिखता है— सुल्तान को बहुत दुःख हुआ कि पुत्र ने उसकी सलाह पर ध्यान न देकर, उपेक्षा किया तथा मद्यपान और लंपट व्यवहारों से विरत नही हुआ । हाजी खां जो राज्य का सब कार्य देखता था, उसे रक्तस्राव की बीमारी हो गयी। सुल्तान की वृद्धावस्था राज्यकार्य संचालन मे रुकावट डालने लगी ( ४७३ ) । पाद-टिप्पणी : ७८. ( १ ) दिगन्तर : द्रष्टव्य टिप्पणी १ : १ : १३९; १ : ३ : ११३; १ : ४ : ७६; १ : अथ स्वावसथं गत्वा सोऽपिवद् यन्त्रितोऽपि सन् । विषवद्व्यसनान्धानामुपदेशो निरर्थकः ।। ७७ ।। ७७. वह नियन्त्रित होने पर भी अपने आवास में जाकर, (मदिरा) पान' किया, विष सदृश व्यसन से, जो अन्धे हो गये हैं, उनके लिये उपदेश निरर्थक होता है । तावतास्नेहमाशङ्कय आदमखानमानिन्युर्गूढलेखैर्दिगन्तरात् ।। ७८ ।। ७८ मर्यादा रहित मन्त्रियों ने इतने से ही राजा का राजपुत्र पर प्रेम के अभाव की आशंका से गुप्त लेख द्वारा दिगन्तर' से आदम खां को बुलाया । राजपुत्रेऽतिमन्त्रिणः । ७ : ७७ । मोहिबुल हसन का मत है कि आदम खाँ सिन्ध उपत्यका था और वहाँ से वह बाहरी पर्वतों की ओर चला गया था । द्रष्टव्य : १ : ३ : ११४ । ( २ ) बुलाना पीर हसन लिखता है - यह देखकर वाज़ अमीरों ने आदम खाँ को पैगाम भेजकर बुलवा लिया ( पृ० १८५ ) । फिरिश्ता लिखता है - सुल्तान का विचार तथा इन परिस्थिति को देखकर, अमीरों ने गुप्त रूप से आदम खाँ को आने लिए सन्देश भेजा ( ४७३ ) । का अकबरी में उल्लेख है - गुप्तरूप से अमीरों ने आदम खाँ को बुलाया (४४४ = ६७० ) ।

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