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जैनराजतरंगिणी
[१:७:२३४-२३५ नेत्रनालस्रवद्धाष्पधाराः स्वाचारकारणात् ।
मुखावलोकनं कृत्वा सर्वे मृन्मुष्टिका जहुः ।। २३४ ॥ २३४. लोगों के नेत्रनाल से अश्रुधारा चल रही थी। अपने आचार के कारण मुखावलोकन करके, सब लोग मुट्ठी भर मिट्टी डाले।
भूपतिर्भविता नान्यस्त्वत्समो भूरियं गता।
इतीव भावनां चक्रुमृन्मुष्टिग्रहणच्छलात् ॥ २३५॥ २३५. तुम्हारे समान दूसरा भूपति नही होगा, यह पृथ्वी भी चली गयी, मानों यही भावना मुट्ठी भर मिट्टी ग्रहण करने के व्याज से, लोगों ने किया ।
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जाने के सन्दर्भ मे वर्णन करते हुए श्रीवर ने पुन. जैसा खोदा जाता है। उसमे शव रख दिया जाता एक वस्त्र शब्द ही दुहराया है (२ : २०९) । है । गुफा का मुख लकडी, इंटा अथवा पत्थर से ढक (२) भूगर्भ : कन्न।
कर मिट्टी दी जाती है। पैगम्बर मुहम्मद साहब की पाद-टिप्पणी :
कब्र बगली थी। उसका मुख कच्ची ईटों से ढक दिया २३४. (१) मुखावलोकन : शव को कब्र में गया था। रखने के पहले उसका मुख खोल देते है। अन्यथा कब्र का मुख पत्थर, लकड़ी या ईटों से ढकने के शव का मुख कफन में लिपटा ढंका रहता है। मुख पश्चात पत्थर या लकड़ी अथवा ईटों के जोड़ों को मक्का की तरफ कर दिया जाता है। पैर दक्षिण ।
गीली मिट्टी से वन्द कर देते है। कच्ची ईटों का
प्रयोग अच्छा माना जाता है। ताकि ऊपर की मिट्टी तथा शिर उत्तर रहता है। शव कब्र में रखने पर
शव पर जाकर न पड़ जाय । लोग आकर मुट्टियों मुख पुनः कफन से ढंक दिया जाता है।
या अंजुरियों में मिट्टी लेकर कब्र के अन्दर छोड़ देते (२) मिट्टी : मुसलमानों में प्रथा है कि शव को है। कब्र खोदने से जो मिट्टी ऊपर पड़ी रहती है कब्रिस्तान में रख दिया जाता है। कब्र खोदकर उसी से तीन मट्री मिट्री कब्र मे डाला जाता है। तैयार रहती है या खोदी जाती है। कब्र बगली कही पाँच, कही तीन, कही एक लौकिक प्रथा के
ता ह। कब्र खादा अनुसार मिट्टी छोड़ी जाती है। सगे-सम्बन्धी या जाता है। इतना लम्बा-चौड़ा होता है कि दो मित्र जब मढ़ियों से डाल चकते है तो कबर से खोदआदमी उसमे खड़े हो सकें। तत्पश्चात शव से कुछ कर निकली मिट्री जो कबर के चारों ओर फैली लम्बा सन्दूकनुमा चौकोर खोदा जाता है। उसमें
रहती है। उसे पुनः कब्र मे डालकर कब्र भर दिया रखकर उस पर पत्थर या लकड़ी से ढक देते जाता है। मिट्री इतनी बगली या सन्दूकी कब्र खोदने है । ताकि शव को क्षति न पहुंचे और मिट्टी, लकड़ी के कारण बच जाती है कि स्वतः ऊँची बन जाती तथा पत्थर के ऊपर ही पड़ी रह जाय । बगली है। उसपर जल छिड़का जाता है। कुछ लोग उसकबर में कब्र खोदने के पश्चात उत्तर-दक्षिण के किसी पर चादर चढ़ा देते है । कब्रों पर चादर चढाने तथा दिवाल के अन्दर शव के लम्बाई से कुछ अधिक गुफा उसके पास लोहबान जलाने का रिवाज है।