Book Title: Jain Raj Tarangini Part 1
Author(s): Shreevar, Raghunathsinh
Publisher: Chaukhamba Amarbharti Prakashan

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Page 354
________________ २३८ जैनराजतरंगिणी अतीतगणितैकोनसप्तर यब्दायुषं वदनावगतप्रोद्यत्कुष्ण कूर्चकचच्छम् २२७. उनहत्तर वर्ष की आयुवाले और मुख पर कृष्ण वर्णं दाढ़ी एवं बालों से शोभित उस नृप को मास, उससे वर्ष, वर्ष से सूर्य, सूर्य से चन्द्र एवं चन्द्र से विद्युत की प्राप्ति होती है। अमानय उसे ब्रह्म की तरफ ले जाता है। यह देवमार्ग है, जिससे ब्रह्म की प्राप्ति होती है। इस मार्ग से जानेवालो का पुनर्जन्म नही होता ( छान्दोग्योपनिषद ५-६)। भगवद्गीता मे भी कहा गया है अर्जुन! जिस काल मे शरीर को त्याग कर हुए योगीजन पीछे न आनेवाली गति को और पीछे आनेवाली गति को भी प्राप्त होते है, उस काल अर्थात मार्ग को फहूँगा । उन दो प्रकार के मार्गों - गये शवीभूतं शिवीभूतं शिविकायां शवाजिरम् । रुदन्तो मन्त्रिणो निन्युश्छत्रचामरराजितम् ।। २२८ ।। २२८ जो कि शव एवं शिव हो गया था । रोते मन्त्री छत्र-चामर से शोभित करके, शिविका' में शबाजिर (कविस्तान) ले गये। : , नृपम् । ४ १५: . है में से जिस मार्ग में ज्योतिर्मय अग्नि अभिमानी देवता है और दिन का अभिमानी देवता है, ब्रह्मवेत्ता और उत्तरायण ६ महीनों का अभिमानी देवता है, उस मार्ग मे मर कर गये हुए ब्रह्मवेत्ता ब्रह्म को प्राप्त होते है। उत्तरायण देवयान तथा दक्षिणायन पितृयान सनातन माने गये है ( ८ : २३ - २६ ) | भीष्म पितामह उत्तरायण में प्राण त्यागने के लिए शरशय्या पर पड़े रहे। सूर्य की गति ६ मास उत्तरायण एवं ६ मास दक्षिणायन रहती है। दिस म्बर २३ से जून २३ तक उत्तरायण तथा २४ जून से २२ दिसम्बर तक सूर्य दक्षिणायन रहता है। दक्षिणायन में मरनेवाला व्यक्ति है, धूम और धूम से रात्रि, रात्रि से कृष्णपक्ष, उससे दक्षिणायन के ६ मास, उससे पितृलोक, उससे आकाश तत्पश्चात चन्द्रलोक जाते हैं । वहाँ कर्मफलों का भोग कर उसी मार्ग से पुन: लौट आते हैं । जैनुल आबदीन [१७ २२७-२२८ ।। २२७ ।। : : इसी उत्तरायण मार्ग से गमन कर स्वर्ग प्राप्त किया था। पाद-टिप्पणी । 'कूर्च' = पाठ-बम्बई । ने ५२ वर्ष राज्य किया था। इस प्रकार उसका २२७. (१) उनहत्तर वर्ष : जैनुल आबदीन जन्मकाल सन् १४०१ ई० ठहरता है। फिरिश्ता भी सुल्तान की मृत्यु समय की आयु ६९ वर्ष देता है (४०४)। (२) दाढ़ी सुल्तान अन्य तत्कालीन मुसलिम सुल्तानों के समान दाढ़ी रखता था। मैंने अबतक जितने प्रसिद्ध सुल्तानों की तस्वीरें देखी है। उनमें अकबर एवं जहाँगीर ही दाहीविहीन दिखायी दिये । दाढ़ीविहीन सुल्तान होना, अपवाद ही माना जायगा । पाद-टिप्पणी : : 1 २२८. (१) शिविका राजाओं का शव शिविका में रख कर स्मशान ले जाने की पुरानी परम्परा है । दशरथ का शव शिविका में रखकर स्मशान ले जाया गया था (रामा० : अयोध्या : ७६ : १३) । रावण का शव भी शिविका में ले जाया गया था। प्राचीन धारणा है कि मृत होने पर शव शिव स्वरूप किंवा व्यक्ति महादेव हो जाता है द्र० १:५ : ६०; २ : २०८ । हैदरशाह का भी शव शिविका में ले जाया

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