Book Title: Jain Raj Tarangini Part 1
Author(s): Shreevar, Raghunathsinh
Publisher: Chaukhamba Amarbharti Prakashan

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Page 369
________________ २ : ४] श्रीवरकृता दक्षिणानन्दी अयाच भावर्थिजनानन्दी स ४. वह राज्य ग्रहण उत्सव' उत्तम जनों के लिये सम्मानप्रद, दक्षिणा द्वारा आनन्दकर, तत् तत् सुकृतों का सूचक, याचक जनों के लिये आनन्ददायक, सुशोभित हुआ । प्रथम लक्षण है। साथ ही साथ नवीन राजा अपने सील - मुहर से अपने नाम का खुतवा पढ़ने का आदेश जारी करता था । ( २ ) हैदरशाह : मुसलिम राजा प्रायः अपना नाम राज्यप्राप्ति पश्चात तथा अभिषेक किवा गद्दी पर बैठने के समय नाम बदल लेते थे । वह प्रथा भारत में भी सुदूर प्राचीन काल से प्रचलित है । कुछ राजा अश्वमेध सम्पादन के समय भी नाम बदल लेते थे । कुमारगुप्त प्रथम ने अपना नाम महेन्द्र रख लिया था । राज्याभिषेक के समय राजा जब अपना नाम बदलता था, तो उस संस्कार को भी प्राचीन काल में अभिषेक कहा जाता था । (३) ज्येष्ठ प्रतिपद राज्य ग्रहण काल श्रीवर ने सप्तर्षि वर्ष ४५४६ - ज्येष्ठ प्रतिपदा - = = = = = श्रीदत्त कलि० ४५७१ शक० १३९२ विक्रमी० १५२७ = सन् १४७० ई०, राज्यकाल १ वर्ष, १० दिन पीर हसन ने विक्रमी० १५३१ हिजरी ८७९, राज्यकाल १ वर्ष, २ मास दिया है । मोहिबुल हसन ने सन् १४७० ई०, तारीख रशीदी मे रोजर्स ने सन् १४६९ ई० हिजरी ८७४ दिया है। आर० के० परमू ने सन् १४७० ई०, कैम्ब्रिज हिस्ट्री आफ इण्डिया भाग ३, श्रीदत्त, डॉ० सूफी, कम्प्रिहेन्सिव ने सन् १४७० ई० - हिजरी० ८७५ तथा दिल्ली सल्तनत ( विद्या भवन ) मे भी सन् १४७० ई० दिया गया है बेकटाचालम ने सन् १४७४ ई०, आइने अकबरी, तबकाते अकबरी तथा फिरिश्ता ने राज्यकाल १ वर्ष, २ मास दिया है ( आइने० : ४२४ ) । राजतरंगिणी संग्रह मे राज्यकाल २ वर्ष दिया गया है । = तवनका अकबरी में उल्लेख है -हाज़ी खाँ अपने पिता के उपरान्त तीन दिन मे सुल्तान हंदर तत्तत्सुकृतसूचकः । राज्यग्रहणोत्सवः ॥ ४ ॥ २५३ शाह की उपाधि धारण कारण करके, सिकन्दरपुर में जो नोहता शहर ( नवशहर ) के नाम से प्रसिद्ध है, अपने पिता की प्रधानुसार सिंहासनारूद हुआ। ( ४४६ - ६७२ ) । फिरिश्ता लिखता है-हाजी खां बिना किसी विरोध के सिंहासनारूढ़ हुआ ( ४७४ ) । समसामयिक घटनाएँ — सन् १४७० ई० में बहमनी राज्य ने विजयनगरम् राज्य पर आक्रमण कर ले लिया । उडीसा में पुरुषोत्तम ( १४६७ - १४९७ ई०), आसाम मे अहोम वंशीय सुमेन पाल (१४३९-१४८८ ई०), सालुत नरसिह ने उदयगिर विजय (सन् १४२८ - १४८० ई० ) किया। मेवाड़ मे उदय राजा था । विजयनगरम् का राजा संगम वंशीय विरूपाक्ष था । हुसेन शरकी जामा मसजिद जौनपुर का निर्माण कराया स्कनुद्दीन बरवक बंगाल का सुल्तान इस समय था । सन् १४७० ई० मे कुतुबशाह ने कच्छ तथा सिन्ध पर आक्रमण किया। पश्चिमी गुजरात मे मुस्तफाबाद आबाद किया । महमूद बुगरा गुजरात ने गिरनार पर अधिकार किया और युदास्मा सरदार को इसलाम कबूल करने पर मजबूर किया। थिहतुर का आबा वरमा मे, श्रीलका मे श्री भुवनेकबाहु द्वितीय राज्य तथा मालवा में गयासुद्दीन का राज्य था। सन् १४७१ ई० में मुहम्मद बुगरा गुजरात मे सिन्ध पर आक्रमण किया । सन् १४७२ ई० में बहलोल लोदी मुलतान के हुसेन शाह लंगा के विरुद्ध सैनिक अभियान किया । पेगू बरमा मे धम्मजेदी ने राज्य प्राप्त किया । पाद-टिप्पणी ४. (१) उत्सव : राज्यारोहण उत्सव मे करद

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