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जैनराजतरंगिणी
[१:७:८५-८८ दिव्यं मौसुलदेवेन ते कृत्वापि परस्परम् ।
नात्यजन् हृदयाद् वैरं कायॆमौर्णा इवांशुकाः ॥ ८५॥ - ८५. वे परस्पर मौसुल देव की सपथ लेकर भी, हृदय से बैर को उसी प्रकार नहीं त्याग सके, जिस प्रकार ऊनी वस्त्र कालिमा को।
अहो गुहायामेकस्यां प्राप्ता सिंहचतुष्टयी ।
एतदन्योन्यवैरोत्थो नशोऽयं समुपस्थितः ॥ ८६ ॥ ८६. आश्चर्य है ! एक ही गुफा में चार सिंह प्राप्त हुए, उनके पारस्परिक बैर से उत्पन्न, यह नाश ही उपस्थित हो गया।
राज्ञो देशस्य खानानां परिवारस्य मण्डले ।
सर्वांस्तान् मिलितान् दृष्ट्वा प्रोवाच सकलो जनः ॥ ८७ ।। युग्मम् ॥ ८७. राजा, देश, खानों एवं परिवार के मण्डल में सबों को मिला देखकर, सब लोगों ने कहा । युग्मम् ॥
अत्रान्तरे द्वयोर्द्विष्टं कनिष्ठं श्रेष्ठमात्मजम् ।।
विचार्यानीय बहामखानं स विजनेब्रवीत् ॥ ८८॥ ८८. इसी समय दोनों के द्वेषी कनिष्ट पुत्र बहराम खां' को श्रेष्ठ समझकर, उसे निर्जन स्थान में बुलाकर (राजा ने) कहा--
२ : १८६ । पीर हसन लिखता है-कुछ दिनों तक कर दी। बहराम खां ने धूर्ततापूर्वक बैर उत्पन्न तो आदम खाँ को अपने भाई हाजी खाँ से सुलह से करनेवाली, बात कही और दोनों भाइयों को परगुजरी।
स्पर शत्रु बना दिया ( ४४४-६७०)। तवक्काते पाद-टिप्पणी:
अकबरी की एक पाण्डुलिपि में 'निफाक अमीर' तथा
लीथो संस्करण मे 'निफाक' लिखा मिलता है। ८५. (१) मौसुल देव : मुसलिम देवता। अल्ला या खुदा की कसम खाना मुसलमानों में पाद-टिप्पणी : मुख्यतया काश्मीर में प्रचलित है।
८८. ( १ ) बहराम खां : जैनुल आबदीन का . (२) बैर : दोनों भाइयों ने यद्यपि मित्र बने तृतीय पुत्र था। यह कभी सुल्तान नहीं बन सका रहने की शपथ कुरानशरीफ़ लेकर की थी परन्तु था। हसन खां ने इसे बन्दी बनाकर इसको अन्धा दोनों का हृदय साफ नही था। उनके बैर का अन्त बना दिया। यह कारागार में ही मर गया। नहीं हो सका ( म्युनिख : पाण्डु० : ७६ बी०)। वह तीन वर्ष कैद में पड़ा रहा। उसका पुत्र युसुफ
तवक्काते अकबरी में उल्लेख है-इर्षालुओं ने था। वह भी कैद से छूटते ही मार डाला गया । बीच में पड़कर दोनों ( भाइयों ) में शत्रुता उत्पन्न द्र० : १ . १ : ५६; ३ : ८७ ।