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जैनगजतरंगिणी
[१:७ : १९३-१९७
तदुत्तिष्ठ वयं यामः ससंनाहा नृपाङ्गनम् ।
हरामस्तत्तुरंगादि बद्धवा दुष्टांश्च मन्त्रिणः ।। १९३ ।। १९३. 'अतएव वर्म युक्त होकर, हम लोग नृपांगण मे चलें और दुष्ट मन्त्रियों को बाँध कर, तुरंग आदि का हरण कर लें
नौसेतुबन्धं छेत्स्यामस्तेन नश्यति तेऽग्रजः ।
श्रुत्वेति सोऽभ्यधान्नैवं वक्तुं युक्तं ममाग्रतः ।। १९४ ॥ १९४. 'नाव सेतुबन्ध को काट दें, उससे तुम्हारा अग्रज नष्ट हो जायगा।' यह सुनकर, उस ( हाजी खान ) ने कहा-'मेरे समक्ष यह कहना उचित नही है
स्वप्नेऽप्यनिष्टं यस्याहं नेच्छामि स्वामिनः पितुः।
तच्छ्रत्वैकां निशां यावत् तदने सोऽनयच्छुचा ॥ १९५ ॥ १९५. 'स्वप्न में भी मैं स्वामी पिता का अनिष्ट नही चाहता हूँ।' यह सुनकर, उसने एक रात्रि शोकपूर्वक उसके आगे व्यतीत किया।
तावन्मुमूर्ष तं श्रुत्वा पितृराज्यजिहीर्षया ।
आदमखानः श्रीजैननगरं सबलोऽभ्यगात् ।। १९६ ।। १९६. तब तक उसे मरणसन्न सुनकर, पिता का राज हरण करने की इच्छा से, आदम खान जैननगर गया।
भटसंनाहसामग्री प्रापय्य पथि गोपिताम् ।
अवसत् स निशामेकां राजधान्यन्तरालये ॥ १९७ ॥ १९७. भटों के सामग्री को मार्ग में छिपाकर, वह एक रात राजधानी के अन्दर, गह में व्यतीत किया।
पाद-टिप्पणी:
छोड़ दिया। ताकि वह हाजी खाँ और शत्रुओं से १९६. (१) जैननगर : द्रष्टव्य टिप्पणी : सचेत रहे ( ४४५ = ६७१ ) । १:५:४।
द्र० : १ : ५ : ४; ३:७ : ९८, १९७, मोहिबुल हसन ने लिखा है कि आदम खाँ नौशहर १९९, ३८०; ४ : १२० । सेना के साथ गया कि राज्य सिंहासन पर अधिकार पाद-टिप्पणी : कर ले। नौशहर को वह श्रीनगर का ही एक भाग
गोपिकम् पाठ-बम्बई । मानते हैं ( पृष्ठ : ८०, ८४,८८, ९३ )।
१९७. (१) सन्नाह : सामग्री। युद्ध की तवक्काते अकबरी मे उल्लेख है-एक रात्रि सामग्री या युद्धसज्जा या युद्ध की तैयारी। प्रथम में आदम खाँ कुतुबुद्दीनपुर से अकेला सुल्तान को विदेशी शासक रिंचन ने अस्त्रों को इसी प्रकार बालू देखने के लिए आया और सेना को नगर के बाहर में छिपाकर, व्याल आदि अपने शत्रुओं को मार