Book Title: Jain Raj Tarangini Part 1
Author(s): Shreevar, Raghunathsinh
Publisher: Chaukhamba Amarbharti Prakashan

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Page 348
________________ २३२ जैनराजतरंगिणी [१:७:२०८-२१० अभिमन्युप्रतीहारमुख्याः शौर्यममानुषम् । दृष्ट्वैवादमखानस्य सान्वर्थाभिधमूचिरे ॥ २०८ ॥ २०८. अभिमन्यु' प्रतीहार प्रमुख लोगों ने आदम खान के अमानवीय शौर्य देखकर, उसके नाम को सफल कहा। यावान् सुय्यपुरे तेन कृतो लोकक्षयः क्रुधा । तावानेव कृतस्तत्र सङ्कटे गिरिगह्वरे ॥ २०९॥ २०९. उसने क्रोध से सुय्यपुर मे लोगों का जितना विनाश किया था, उतना ही उस संकीर्ण गिरि गह्वर में भी किया। तावद्धस्सनखानोऽपि राजपुत्रो गुणोज्ज्वलः । तूर्णं पर्णोत्समुल्लङ्घन्य कश्मीरान्तरमाययौ ॥ २१० ॥ २१०. तब तक गुणोज्ज्वल राजपुत्र हस्सन खान भी पर्णोत्स' लाँघ कर शीघ्र ही काश्मीर से आ गया। पाद-टिप्पणी: पाद-टिप्पणी २०८. ( १ ) अभिमन्यु : तवक्काते अकबरी २१०. ( १ ) पर्णोत्स : पूंछ = 'हसन खॉ विन में उल्लेख है.-... 'जैन वद्र जो हाजी खाँ का विश्वस्त हाजी खाँ पूछ से आकर बाप से मिल गया ( पीर अमीर था। आदम खाँ का पीछा करने के लिए हसन : १८६ )। गया। आदम खा उससवारता र सापपुल कल हसन जो पूंछ का राज्यपाल या शासक था। हए, उसके बहुत से भाइयो तथा सम्बन्धियो की अपने पिता की सहायता करने के लिए चल पडा। हत्या करके वहाँ से निकल भागा ( ४४५-४४६ = इससे हाजी खाँ की स्थिति और सुदृढ़ हो गयी ६७२ )।' ( म्युनिख : पाण्डु० : ७७ ए०)।' तवक्काते अकबरी मे नाम 'इब्न बद्र' लिखा तवक्काते अकबरी में उल्लेख है-'हाजी खाँ है। लीथो संस्करण में 'ऐन पदर' लिखा है। का पुत्र हसन खाँ जो कि पंजे (पंछ ) में था। अपने पिता के पास आया और उसके कार्यों को फिरिश्ता ने 'जेनलारिक' लिखा है। यह नाम कर्नल ब्रिग्गस, रोजर्स तथा कैम्ब्रिज हिस्ट्री मे अत्यधिक रौनक प्राप्त हो गयी ( ४४६-६७२ )।' नहीं दिया गया है। द्र० : २ : १९६; ३ : १०३, फिरिश्ता लिखता है-हाजी खाँ का दल और अधिक शक्तिशाली, उसके पुत्र हसन खां के आने के १२५ । कारण हो गया ( ४७४ )। पाद-टिप्पणी: द्र०:१:१ : ६७; १ : ३ : ११०; १:७: २०९. 'सङ्कटे' पाठ-बम्बई। ८०; २०८; २ : ६८, २०२; ४ : १४४, ६०७ ।

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