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श्रीवरकृता भास्वान् राजा सदाचारो बुधः सधिषणो महान् ।
अधाद् विश्वग्रहाख्यातिमासन्नस्य ग्रहोचिताम् ॥ २६ ॥ २६. बुध (विद्वान), सधिषण (बध युक्त), बहस्पति सहित, महान, सदाचारी, भास्वान (सूर्य) राजा (चन्द्रमा) ने गर्भोचित विश्व ग्रह की ख्याति धारणा किया।
यं सम्प्राप्य गुणाः सर्वेऽप्यलभन्नधिकां श्रियम् ।
रात्रौ कुमुदवृन्दानि चिन्तामणिमिवोडुपम् ॥ २७ ॥ २७. रात्रि के चन्द्रमा को पाकर, कुमुद वृन्दों के समान, चिन्तामणि सदृश, जिस राजा को पाकर, सभी गुण अधिक सुशोभित हुए।
कया यस्य वृत्तं समन्वरञ्जयन् । सुमनोरञ्जिताहादा ऋतवो नन्दनं यथा ॥ २८॥ २८, षट दर्शनों' की क्रियायें, जिसके वृत को उसी प्रकार अनुरंजित की, जिस प्रकार सुमनों से आल्हाददायिनी (षट) ऋतुयें नन्दन को।
त्रिवर्ग प्रोज्ज्वलं दृष्ट्वा यस्मिस्तद्रसिका इव ।
अवसञ्छक्तयस्तिस्रः सममेकमता इव ॥ २९॥ २९. प्रोज्वल त्रिवर्ग' को देखकर, उनकी रसिका (प्रेमिका) सदृश तीनों शक्तियाँ एकमता सदृश जिसमें रहती थीं।
भूपेऽथैः पूरयत्यर्थिसाथै पार्थोपमेऽन्वहम् ।
आह्वानार्थमिवैतस्य यशः सर्वदिशोऽगमत् ॥ ३०॥ ३०. पार्थ सहश राजा धन द्वारा याचकवन्द को प्रतिदिन परिपूर्ण करता था, अतएव मानो उनका आह्वान करने के लिये ही इसका यश दिशाओं में फैला । पाद-टिप्पणी :
माना गया है। पारिजात पुष्प के लिये प्रसिद्ध है। २८. (१) दर्शन : आस्तिक एवं नास्तिक शाब्दिक अर्थ सुहावना प्रसन्न करनेवाला होता दो विभागों मे दर्शनों का वर्गीकरण किया गया है। है-अभिज्ञाश्छेद पातानां क्रियते नन्दन द्रुमाः (कु० ____ आस्तिक दर्शन-सांख्य, योग, वैशेषिक, न्याय, २ : ४१; रघु०८:४१ )। मीमांसा (पूर्वमीमांसा ) तथा वेदांत ( उत्तर- पाद-टिप्पणी : मीमांसा ) है। नास्तिक दर्शन भी छः हैं-चार्वाक २९. ( १ ) त्रिवर्ग : धर्म, अर्थ एवं काम । ( लोकायत), श्रोत्रान्तिक, वैभाषिक, योगाचार, (२) शक्तियाँ : प्रभु, मन्त्र एवं उत्साहमाध्यमिक तथा अर्हत ।
शक्ति । (२) नन्दन : देवराज इन्द्र के उपवन का पाद-टिप्पणी: नाम है। सबसे सुन्दर स्थान एवं वन या उद्यान ३०.(१) पार्थ : युधिष्ठिर की माता कुन्ती