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श्रीवरकृता अथाशक्य नृपः पापं तद्वधात् कतिचिदिनैः ।
बहिर्निष्कासयामास भुट्टमार्गेण तं सुतम् ॥ ७१ ॥ ७१. राजा ने उसके बध जन्य पाप की आशंका कर, कुछ ही दिनों में भुट्मार्ग' से उस पुत्र को बाहर कर दिया।
वज्रबाणप्रकारांश्च शिल्पिनः समदर्शयन् ।
येभ्योऽश्रावि ध्वनिधीरलोकहृत्कम्पकारकः ॥ ७२ ।। ७२. शिल्पियों ने वज्रवाण' के विविध प्रकार प्रदर्शित किया जिनसे धीर जन के हृदय को कम्पित करने वाली ध्वनि सूनी गयी।
तद्यन्त्रमाण्डभेदांश्च तत्तद्धातुमयान्नवान् । .
आनीतवान् नरपतिः संहतान् शिल्पिनिर्मितान् ॥ ७३ ॥ ७३. शिल्पियों द्वारा निर्मित तत् तत् धातुमय नवीन यन्त्रभाण्ड' प्रकारों को राजा ले आया।
प्रशास्तिः क्रियतां यन्त्रभाण्डेष्विति नृपाज्ञया ।
मयैव रचितान् श्लोकान् प्रसङ्गात् कथयाम्यहम् ।। ७४ ।। ७४. यन्त्रभाण्डों की प्रशस्ति की, जिसे इस प्रकार की राजाज्ञा से अपने द्वारा ही रचित श्लोकों को प्रसंगवश कहता हूँ।
यदनुग्रहेण राज्ञां समयो लीलाविलासमयः ।
समयश्च यन्त्र तन्त्रैः स्थिरां प्रतिष्ठा क्रियात् स मयः॥ ७५ ॥ ७५. 'जिसके अनुग्रह से राजाओं का लीला विलासमय समय होता है, वह समय और वह शिल्पी यन्त्र तन्त्रों से (राजा की) प्रतिष्ठा स्थिर करें।
रसवसुशिखिचन्द्राङ्के शाके नाकेशविथ तो राजा ।
श्रीजैनोल्लाभदीनः कश्मीरान् पालयन् विजयी ॥ ७६ ॥ ७६. शक' वर्ष १६८६ में इन्द्रवत् विश्रुत राजा जैनुल आबदीन काश्मीर का पालन करते हुयेपाद-टिप्पणी :
पाद-टिप्पणी : पाठ-बम्बई।
७२. (१) वज्रवाण : गोली-गोला, बन्दूक
और तोप की। ७१ (१) भट्टमार्ग : जोजिला पास मार्ग जो पाद-टिप्पणी : श्रीनगर से लोह को जाता है। वहीं भुट्टमार्ग ७३. (१) यन्त्रभाण्ड : तोप । है (पृष्ठ : ४४२)। फिरिस्ता ने भुट्ट देश को पाद-टिप्पणी: तिब्बत लिखा है ( ४७१ )।
७६. (१) शकवर्ष १३८६ = सम्वत् १५२१