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श्रीवरकृतो
अथो आरोहमकरोत्र
भूभागलग्नैकरज्जुमार्गेण पतत्रीव
६. आकाश में पक्षी के समान निर्भय होकर, वह भूभाग पर लगे एक रस्सी के मार्ग से उस पर, आरोहण किया ।
निपातास्खलितां
तत्र
लोकचित्तानुरञ्जकाम् ।
कवितामिव शिल्पेज्यश्चित्रां पद्गतिं व्यधात् ॥ ७ ॥
१ : ७ : ६-८ j
अनीचवर्तिनस्तस्य सुरश्मिराशिगस्यालं
७. वह उस शिल्प युक्त डोरी पर कविता के समान निपात एवं स्खलन रहित लोक चित्तानुरजक, विचित्र पदन्यास किया ।
ग्रहस्येव
८ ग्रह' के समान अनीचवर्ती तथा आश्चर्यपूर्ण होना अधिक फलप्रद हुआ ।
पाद-टिप्पणी :
६ कलकत्ता के श्लोक की ५३२वी पंक्ति है । पाद-टिप्पणी.
७. उक्त श्लोक कलकत्ता संस्करण की ५३३वी पंक्ति तथा बम्बई संस्करण का ७व श्लोक है । पाद-टिप्पणी :
निर्भयः ।
नभोन्तरे ॥ ६ ॥
फलप्रदा ।
बभूवाश्चर्यभूनृणाम् ॥ ८ ॥
सुन्दर रस से राशि गत, उसके लिये लोगों का
उक्त श्लोक कलकत्ता संस्करण की ५३४वी पंक्ति तथा बम्बई संस्करण का ८वॉ श्लोक है । पाठ-बम्बई ।
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८. (१) ग्रह : वाराह मिहिर ने केवल ७ ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र तथा शनि माना है । इनके अतिरिक्त राहु और केतु, जो एक ही शरीर के शिर तथा धड है, दो और ग्रह मानकर, उनकी संख्या नव बना दी गयी है। नवग्रह की पूजा मागलिक कार्यों के समय होती है। फलित ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की संख्या नव ही मानी जाती है । ग्रह, गुरु एवं शुक्र ब्राह्मण है, मंगल क्षत्रिय है, बुध-चन्द्रमा वैश्य तथा राहु और केतु शूद्र ग्रह माने गये है । मंगल एवं सूर्य का रंग लाल, चन्द्रमा एवं
शुक्र का श्वेत, गुरु-बुध का पीत, शनि, राहु एवं केतु का काला बताया गया है। शुभ ग्रह की दृष्टि शुभ तथा अशुभ की अशुभ होती है । पूर्ण, त्रिपाद, अर्द्ध एक-एक पाद की दृष्टियाँ होती है । पूर्ण दृष्टि का फल पूर्ण, त्रिपाद का तीन चतुर्थांश, अर्द्ध का आधा तथा एक पाद का चतुर्थाश होता है । ग्रह आकाश-मण्डल के वे तारे है, जो अपने सौर जगत के सूर्य की परिक्रमा करते है । पाप ग्रह या अशुभ ग्रह फलित ज्योतिष के अनुसार - मंगल, शनि, राहु, केतु या सूर्य इनमे से जिनके साथ बुध रहता है ।
प्रत्येक ग्रहों के तीन स्थान — दक्षिण, उत्तर तथा मध्यम होता है ( वायु० : ३ : १२; ७ : १५; ३०: १४६; ३१ : ३५; ५१ : ८ ५३ : २९-१०९ ) । जैन ग्रन्थो मे ८८ ग्रहों का नाम-निर्देश है ।
( २ ) अनीचवर्ती : ग्रहों की नीच और उच्च राशियाँ ज्योतिष में वर्णित है। सूर्य का उच्च मेष, चन्द्रमा का वृप, मंगल का मकर, बुध की कन्या, गुरु का कर्क, शुक्र का मीन और शनि की तुला उच्च राशि है । उच्च राशियों से सप्तम नीच राशियाँ होती हैं, जैसे रवि की तुला नीच राशि है । चन्द्रमा