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१ : ६ : २१-२४] श्रीवरकृता
१८१ सरः स्वन्तर्धमन्तस्ते निर्दराः पक्तिपावनाः ।
तरङ्गतरलोत्फुल्लश्वेतोत्पलतुलां दधुः ॥ २१ ॥ २१. सरोवर के भ्रमण करते. निर्भय एवं पक्ति भक्त (वे) हंस तरंगों से तरल, प्रफुल्ल, श्वेत कमल तुल्य शोभित हो रहे थे।
खुरासानमहीपस्य यस्येवाज्ञा हयप्रभोः ।
मूर्ना मन्दारमालेव ध्रियते दिगधीश्वरैः ॥ २२ ॥ २२. हयस्वामी, जिस खुरासान महीपति की आज्ञा मन्दारमाला की तरह दिशाओं के अधीश्वर शिरसे धारण करते है
यस्यायुधोर्जितकराः किङ्कराः सुभयङ्कराः ।
यमस्य चार्पितकरा व्यचरन् धरणीतले ॥ २३ ॥ २३. हाथ में प्रचण्ड हथियार लिये, जिसके सुभयंकर भृत्य, जो कि यम को भी कर लगाने वाले थे, पृथ्वी तलपर विचरण कर रहे थे।
उत्तराशाधिपो मेर्जाऽभोसैदः स महीभुजे । ___ उच्चाश्ववेसरीयुक्तं व्यसृजत् सोपधिं चरम् ॥ २४ ॥
२४. उत्तर दिशा के स्वामी (खुरासानाधिपति) मिर्जा अभोसैद', राजा के पास बहुत से घोड़े एवं खच्चड़ो के उपहार सहित दूत भेजा। है। श्रीवर और तवक्काते अकबरी के काल में हुआ था तथा सुल्तान अहमद समरकन्द का (१४६९लगभग १ शताब्दी का अन्तर है। मानसरोवर १४९४ ई०) सुल्तान हुआ था। खुरासान : द्रष्टव्य का नाम फारसी इतिहासकारों ने मौद लिखा है। टिप्पणी (१:४ : ३२)। पाद-टिप्पणी :
___ तवक्काते अकबरी मे उल्लेख है-खुरासान के २१. दत्त ने इस श्लोक के अंग्रेजी अनुवाद मे बादशाह अबू सईद ने खुरासान से अरबी घोड़े भेजे 'निर्भय' अर्थ लिखा है, जो '
निराः' के स्थान पर थे ( ४४०-६५९ ) । इसलिये श्रीवर ने यहाँ खुरा'निर्दराः' मानकर अनुवाद किया गया है। क्योंकि सान के सुल्तान को नाम हयपति विशेषण के साथ 'निर्दर' शब्द का निर्भय अर्थ होता है। 'निरा' प्रयोग किया है। का अर्थ पत्नी रहित होगा। श्री दत्त ने भी निर्दारा पाद-टिप्पणी : के स्थान 'निर्दरा' अर्थात् निर्भय मान कर अनुवाद २४. (१) मिर्जा अभोसैद : मिर्जा अबू सैय्यद किया है।
बादशाह बाबर का पितामह था। पाद-टिप्पणी :
पीर हसन लिखता है-खुरासान के बादशाह २२ (१) खुरासान महीपति : मिर्जा अबूसद खाकान सईद ने जिसने खुरासान से बादशाह के (१ : ६ : २४) । यादगर मुहम्मद (१४६९-१४७०) लिए तेज रफ्तार अरबी घोड़े, खच्चर आला, अपने पिता अबूसद के पश्चात् खुरासान का शासक वलाखी ऊंट-रवाना किये (पृ० : १८१ )।