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जैन राजतरंगिणी श्रीजैनोल्लाभदीनः स हत्वा शत्रून् दिगन्तरे । आगत्य पैतृके देशे राज्यं राम
१९. उस जैनुल आबदीन ने दिगंतर में शत्रुओ को के समान राज्य प्राप्त किया ।
हृतावशिष्टां कोशेभ्यः स्वप्रबन्धोपयोगिनीम् । नानापदार्थ सामग्रीं
तद्राज्यमालिशाहस्य अज्ञायि कैर्न ग्रीष्माते मरौ
[ १ : १ : १९–२१
१९ ॥
इवासदत् ॥ मारकर, पैतृक देश' में आकर,
राजा
२०. राजा ने कवि के समान कोश' से अपहरण करने से अवशिष्ट, स्व-प्रबन्धोपयोगी, नाना पदार्थ सामग्री को संग्रहीत किया !
पाद-टिप्पणी :
१९. (१) पैतृक देश : कश्मीर मण्डल । (२) राम : अयोध्यापति राम से यहाँ तात्पर्य है। राम की उपमा जैनुल आबदीन से श्रीवर ने दिया है। जैनुल आबदीन को भ्राता अलीशाह के कारण देश त्यागना पड़ा था। उसने काश्मीर के बाहर अपने शत्रुओ को उसी प्रकार परास्त किया, जिस प्रकार राम ने अयोध्या के बाहर शत्रुओं को परास्त किया था । राम ने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर अयोध्या में लौटकर राज्य प्राप्त किया। वही जैनुल आबदीन ने किया था । राम तथा जैनुल आब दीन दोनों ने भाइयों से ही राज्य प्राप्त किया था, न कि पिता से । दोनों को राज्य के कारण अपना देश त्यागना पड़ा था। दोनों के देशत्याग के कारण उनके भाई थे। दोनों के ही कनिष्ट भ्राता लक्ष्मण तथा मुहम्मद खां उनके भक्त तथा आज्ञाकारी थे । जोनराज ने मुहम्मद खां को कलानिधि लिखा है । (जोन० : ९६६) । पाद-टिप्पणी :
पाठ: बम्बई ।
कविवाचिनोत् ॥ २० ॥
राज्यकालादनन्तरम् । श्रीखण्डलेपनम् ॥ २१ ॥
राम र
२९. अलीशाह के राज्य के अनन्तर, उसके राज्य को ग्रीष्मान्त' के मरुस्थल में श्रीखण्ड (चन्दन) लेप तुल्य, ज्ञीतलता का किसने अनुभव नहीं किया ?
२०. (१) कोश : कोश शब्द यहाँ श्लेष है । एक अर्थ शब्दकोश, शब्दार्थसंग्रह, शब्दावली तथा दूसरा अर्थ रत्नभाण्डार गृह, खजाना, आगार होता है। जिस प्रकार कवि कोश से शब्द ग्रहण करता है, अपना शब्द भण्डार बढ़ाता है, उसी प्रकार जैनुल आबदीन ने सामग्रियों का संग्रह कर, अपना कोश अर्थात् खजाना बढ़ाया ।
(२) प्रबन्ध : यह भी यहाँ श्लेष है । प्रबन्धकाव्य पद्यबद्ध सर्गबद्ध, कथात्मक काव्य होता है । कथा - काव्य के अति निकट प्रबन्ध-काव्य होता है । कवि प्रबन्ध-काव्य की रचना करता है । दूसरा अर्थ राजप्रवन्ध एवं राज का प्रबन्ध करना है । राजा भी कोश अर्थात् अर्थ किंवा वित्त के आधार पर राज्य का प्रबन्ध करता है । कोशहीन राज-प्रबन्ध नही चलता, नष्ट हो जाता है जैसे शब्द भाण्डारहीन कवि या काव्यकार काव्य रचना में असफल हो जाता है । पाद-टिप्पणी :
२१. (१) ग्रीष्मान्त : ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ एवं आषाढ़ मास होता है । मरुस्थल ग्रीष्म ऋतु में अत्यन्त