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जैनराजतरंगिणी
सुल्तान निरन्तर पान के कारण दुर्बल एवं अतिसार रोग ग्रस्त हो गया। हसन खाँ ने आते ही, उछु'खल मन्त्रियों का नियन्त्रण किया। हशन खाँ पर सुल्तान इसलिये नाराज हो गया कि उसने फिरोज गवखड़ को बन्दी बनाकर, नही लाया। सुल्तान ने बिजयी पुत्र हसन खाँ के निकट आने पर भी उसके प्रति अधिक आदर प्रकट नहीं किया।
राजा सेवकों सहित पान लीला हेतु राजाप्रासाद पर चढ गया। लीला पूर्वक दौड़ने लगा। गिर पडा । नाक से रक्त निकलने लगा। बेहोश-सा हो गया। उसकी काख मे हाथ डालकर, शयन मण्डप में सेवक ले गये । कोई योगी राजा की औषधि कर रहा था । उग्र औषधियों के प्रयोग से राजा की हालत और बिगड़ गयी । वह जलन से जलने लगा।
बहराम खां राज्य प्राप्ति प्रयास में लग गया। राजलक्ष्मी चाचा और भतीजा के बीच में झलने लगी। राजा दिवंगत हो गया। आयुक्त अहमद ने सचिवों से मन्त्रणा कर, प्रस्तान रखा। वहराम खाँ राज्य ग्रहण करें। हसन खाँ युवराज बना दिया जाय। अभागे बहराम खां ने प्रस्ताव ठुकरा दिया। राज्य प्राप्ति के लिए, जिन लोगों ने बहराम खां को प्रोत्साहित किया था, वे सहायक न हये। बहराम खाँ की स्थिति बिगड़ गयी। आयुक्त अहमद ने सचिवों के साथ मन्त्रणा किया। राजपुत्र हसन को राज देने का निश्चय किया । बहराम खाँ नगर छोड़कर भाग गया। कश्मीर से बाहर चला गया। .हैदर शाह लो० ५४४८ = सन् १४७२ ई० मे एक वर्ष दस मास राज्य कर वैशाख मास श्री पंचमी को दिवंगर हो गया । सम्बन्धी, मत्री आदि शिविका रूढ़ सुल्तान का शव पित। के शवाजिर मे ले गये। एक वस्त्र सहित दफना दिया गया। उसे मिट्टी दी गई। कनपर एक मध्योतम शिला स्थापित की गई। हैदर शाह ने फारसी एवं हिन्दुस्तानी भाषा में गोत काव्य को रचना किया था।
हसन शाह (सन् १४७२-१४८४ ई० त्रितीय-तरंग) : हसन शाह राजधानी सिकन्दरपुर से हटाकर पिताह के राजधानी जैन नगर मे गया। राजा का आदर्श पिता नहीं, पितामह जैनुल आबदीन का। आयुक्त अहमद ने सिंहासनासीन हसन शाह का स्वर्ण कुसुमो से पूजा कर, राज तिलक किया। होम किया गया। वाद्य वादन हुआ। नगर ध्वजाओं से सजाया गया । ध्वजायें श्वेत बडी-बड़ी थी। सेवक रेशमी वस्त्रों का उवहार प्राप्त किये । पूर्वकाल मे उन्हे इस अवसर पर रूई के वस्त्र दिये जाते थे। पिता तथा पितामह को राज्य प्राप्ति हेतु रक्त पात तथा सघर्ष करना पड़ा था। हसन शाह ने बिना रक्तपात क्रमागत राज्य प्राप्त किया।
हसन शाह ने षड दर्शनों का अध्मन किया था। आयुक्त अहमद के नियन्त्रण मे राज सत्ता थी। पुत्र नौरोज उसका सहायक था। द्वारपाल का कार्य करता था। मल्लिक अहमद को नाग्राम दिया गया। विदेश प्रवास काल मे साथ रहने वाला ताज भट्ट राजा का अत्तरंग एवं दूताधिकार पद प्राप्त किया। जोन राजानक आदि भी पूर्व सेवा के अनुसार ग्रामादि प्राप्त किये। अभिषेक उत्सव की खुशी में कैदी मुक्त कर, भुट्ट देश निर्वासित किये गये ।
हसन शाह का आदर्श पितामह जैनुल आबदीन था। राज्य प्राप्ति के पश्चात् ही पितामह का आचार-विचार राज्य में प्रवर्तित किया। इसी समय वहराम खाँ राज्य प्राप्ति की लालसा से देशान्तर का उद्यम त्याग कर, युद्ध के लिए आया। उसे राजपुरुषों से सहायता की आशा थी। क्रमराज्य विजयेच्छा से पहुँचा । मन्त्रियो सहित राजा अवन्तिपुर में स्थित था। बहराम खां के प्रति गमन की वार्ता सुतकर, शीघ्र श्रीनगर लौट आया। पितृव्य के आगमन से राजा विह्वल हो गया। सुरपुर पहुँचा । फिर्य डामर एवं ताज भट्ट को वहराम खाँ के विजयार्थ राजा ने भेजा।