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जैन आगम साहित्य : ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन • 23
वर्गीकरण
दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों परम्पराओं के साहित्य में समस्त जैन साहित्य का वर्गीकरण विषय की दृष्टि से चार भागों में किया गया है। वे चार विभाग हैं-प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग। पुराणचरित आदि आख्यानग्रन्थ प्रथमानुयोग में गर्भित किये गये हैं। करण शब्द के दो अर्थ हैं—परिणाम और गणित के सूत्र। अत: खगोल और भूगोल का वर्णन करने वाले तथा जीव और कर्म के सम्बन्ध आदि के निरूपक कर्मसिद्धान्त विषयक ग्रन्थ करणानुयोग में लिए गये हैं। आचार सम्बन्धी साहित्य चरणानुयोग में आता है और द्रव्य गुण पर्याय आदि वस्तुस्वरूप के प्रतिपादकग्रन्थ द्रव्यानुयोग में आते हैं।
श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार यह अनुयोग विभाग आर्यरक्षित सूरि ने किया था। अन्तिम दस पूर्वी आर्य वज्र का स्वर्गवास वि०स० 114 में हुआ। उसके बाद आर्यरक्षित हुए। उन्होंने बाद में होने वाले अल्पबुद्धि शिष्यों का विचार करके आगमिक साहित्य को चार अनुयोगों में विभाजित कर दिया। जैसे ग्यारह अंगों को चरण-करणानुयोग में समाविष्ट किया, ऋषिभाषितों का समावेश धर्मकथनानुयोग में किया, सूर्यप्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति आदि को गणितानुयोग में रखा और बारहवें अंग दृष्टिवाद को द्रव्यानुयोग में रखा।
दिगम्बर परम्परा में जिसे प्रथमानुयोग नाम दिया है उसे ही श्वेताम्बर परम्परा में धर्मकथानुयोग कहा है और श्वेताम्बर परम्परा में जिसे गणितानुयोग संज्ञा दी गयी है उसका समावेश दिगम्बर परम्परा के करणानुयोग में होता है।
आचारांग सूत्र
आचारांग सूत्र श्रुत साहित्य का मुकुटमणि है। इसमें आचार का वर्णन है और आचार साधना का प्राण है, मुक्ति का मूल है। इसलिए आगम साहित्य के व्याख्याकारों ने इसे अंग साहित्य का सार, निचोड़ या नवनीत कह कर इसके महत्व को स्वीकार किया है। 27 भाषा शैली एवं विषय की दृष्टि से भी यह सब आगमों से प्राचीन है एवं महत्वपूर्ण प्रतीत होता है।128 हरमन जैकोबी!29 और श्रुबिंग 30 जैसे पाश्चात्य विद्वानों ने भी इसके महत्व को स्वीकार किया है। नन्दीसूत्र में बताया गया है कि आचारांग में निर्ग्रन्थों के आचार, गोचर, वैनयिक, शिक्षा, भाषा, अभाषा, चरण-करण, मात्रा तथा विविध अभिग्रह विषयक वृत्तियों एवं ज्ञानाचार आदि पांच प्रकार के आचारों पर प्रकाश डाला गया है।
आचारांग में आठ शुद्धि, तीन गुप्ति, पांच समिति रूपचर्या का कथन है।31 मुनि को कैसे चलना चाहिए, कैसे बैठना चाहिए, कैसे सोना चाहिए, कैसे खड़ा